भारत ने गुरु-शिष्य की परंपरा विश्व को दिखायी : डॉ संजय

विभावि में भारतीय ज्ञान परंपरा पर हिंदी विभाग में संगोष्ठी

By SUNIL PRASAD | July 11, 2025 11:42 PM

हजारीबाग. विनोबा भावे विवि के हिंदी विभाग में शुक्रवार को संगोष्ठी का आयोजन किया गया. विषय था : भारतीय ज्ञान परंपरा में गुरु की महत्ता. कुलपति प्रो चंद्र भूषण शर्मा ने कहा कि पढ़ाई को कौशल से जोड़ने की जरूरत है. पारंपरिक एवं आधुनिक शिक्षा के बीच सामंजस्य स्थापित करने की भी जरूरत है. उन्होंने विद्यार्थियों से स्वयं अपने गुरु को खोजने की बात कही. मुख्य वक्ता पूर्व केंद्रीय शिक्षा राज्य मंत्री डॉ संजय पासवान ने कहा कि यह देश खोजी का है रोजी का नहीं. हमें अपने जड़ों से जुड़े रहने की आवश्यकता है. अपने मूल से ही तूल मिलता है. हमने गुरु-शिष्य जैसी महान परंपरा विश्व को दिखायी है. अध्यक्षीय भाषण में डॉ केके गुप्ता ने चाणक्य-चंद्रगुप्त, रामकृष्ण परमहंस- स्वामी विवेकानंद व अन्य गुरु-शिष्य का उदाहरण देते हुए गुरु परंपरा के महत्व को बताया. पटना विवि की डॉ परमांशी जयदेव ने विभाग में छात्र के अनुपात में छात्राओं की उपस्थिति पर हर्ष व्यक्त करते हुए कहा कि महिलाएं अपने परिवार के साथ-साथ समाज एवं राष्ट्र के निर्माण में अहम भूमिका निभा रही हैं. विशिष्ट वक्ता एवं राजनीति विज्ञान विभाग के पूर्व अध्यक्ष डॉ केपी शर्मा ने कहा कि भारतीय शिक्षण का अभिप्राय वैज्ञानिक नहीं बल्कि मानव का निर्माण है. विषय प्रवेश करते हुए डॉ केदार सिंह ने कहा कि राज परंपरा, शिष्य परंपरा, गुरु परंपरा इन तीनों का परस्पर सामंजस्य ही हमें एवं हमारे राष्ट्र को विश्व का पथ प्रदर्शक बना सकता है. अध्यक्षता विभागाध्यक्ष डॉ कृष्ण कुमार गुप्ता ने की. डॉ सुबोध कुमार सिंह शिवगीत ने अतिथियों का स्वागत किया. मंच संचालन डॉ सुनील कुमार दुबे व धन्यवाद ज्ञापन विभागीय प्राध्यापक डॉ राजू राम ने किया. कार्यक्रम में संध्या, प्रिया एवं विभिन्न विभाग के विभागाध्यक्ष, शिक्षक, शोधार्थी एवं विद्यार्थी उपस्थित थे.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है