….उपस्वास्थ्य केंद्र जर्जर, जान जोखिम में डाल इलाज कराते हैं ग्रामीण
चैनपुर प्रखंड के बाम्बदा सरनाटोली में संचालित उपस्वास्थ्य केंद्र में ग्रामीण अपनी जान जोखिम में डालकर स्वास्थ्य सेवाओं का लाभ लेने को विवश हैं.
कौशलेंद्र शर्मा, चैनपुर
चैनपुर प्रखंड के बाम्बदा सरनाटोली में संचालित उपस्वास्थ्य केंद्र में ग्रामीण अपनी जान जोखिम में डालकर स्वास्थ्य सेवाओं का लाभ लेने को विवश हैं. नर्स भी अपनी जान जोखिम में डालकर ग्रामीणों को स्वास्थ्य सेवाओं का लाभ दे रहे हैं. उपस्वास्थ्य केंद्र करीब साढ़े तीन दशक (35 साल) पुराना है. क्षेत्र के लोगों को स्वास्थ्य सेवाओं का लाभ देने के लिए करीब 35 साल पहले बाम्बदा सरनाटोली में उपस्वास्थ्य केंद्र का निर्माण किया गया था. जहां पीपी, बाम्बदा, कोरकोटोली, सरगांव, पकनी, ओरामार सहित आसपास के कई गांवों लोग स्वास्थ्य सेवाओं से लाभान्वित हो रहे हैं. उक्त उपस्वास्थ्य केंद्र अभी भी लोगों को अपनी सेवा दे रहा है. लेकिन उपस्वास्थ्य केंद्र के भवन की कभी मरम्मत नहीं की गयी. नतीजा, भवन जर्जर हो चुका है और बड़े हादसे को निमंत्रण दे रहा है. छत्त का प्लास्टर टूट-टूट कर गिरता रहता है. अभी हाल के दिनों में ही भारी बारिश के बीच छत्त का बड़ा सा प्लास्टर टूट कर टेबल पर गिरा, जिससे टेबल टूट गयी. गनीमत रही कि उस समय वहां पर नर्स या मरीज मौजूद नहीं थे, नहीं तो बड़ा हादस हो सकता था. इस घटना के बाद वहां कार्यरत दो नर्सों में भय है. वहीं भवन का छत्त भी धीरे-धीरे नीचे की ओर झुक रहा है. छत्त के झुकने के कारण भवन का वेंटिलेटर का साइज छोटा गया है. बारिश होने के बाद भवन के अंदर पानी भी चूने लगता है.
उपस्वास्थ्य केंद्र में पेयजल का भी अभाव है. केंद्र में कार्यरत नर्सों व इलाज कराने के लिए पहुंचने वाले मरीजों को पीने के लिए पानी का जुगाड़ खुद से करना पड़ता है. वहां एक चापानल है. लेकिन उक्त चापानल सालों से खराब पड़ हुआ है. लेकिन इन समस्याओं पर प्रशासन का ध्यान नहीं है. यदि जल्द ही उपस्वास्थ्य केंद्र को दूसरी जगह पर शिफ्ट नहीं किया जाता है, तो कभी भी बड़ा हादसा हो सकता है.
भवन की स्थिति दिन-ब-दिन खराब होती जा रही है : नर्सनर्स ममता मणि तिर्की ने बताया कि भवन की स्थिति दिन-ब-दिन खराब होती जा रही है. भवन काफी पुराना है. जिस कारण काफी जर्जर भी हो चुका है. यहां केंद्र के संचालन के लिए कहीं और कोई व्यवस्था नहीं है. विभाग द्वारा कहीं दूसरा भवन भी उपलब्ध नहीं कराया जा रहा है और न ही केंद्र के लिए कहीं नया भवन बनाया जा रहा है. मजबूरी में जान जोखिम में डालकर क्षेत्र के लोगों को स्वास्थ्य सेवाओं का लाभ देना पड़ रहा है.
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