Lumpy Skin Disease: मवेशियों में फैल रहा लंपी चर्म रोग, गुमला पशु विभाग की बढ़ी चिंता

देश के दुधारू पशुओं और पशुपालकों पर इन दिनों संकट छाया हुआ है. बीते लगभग एक माह से लंपी स्किन डिजीज मवेशियों पर आफत बन टूट पड़ा है. वहीं, गुमला जिले में भी मवेशी लंपी वायरस की चपेट में आ रहे हैं, जो पशु विभाग के लिए चिंता का विषय बन गया है.

By Prabhat Khabar Print Desk | September 21, 2022 11:42 AM

Lumpy Skin Disease:: गुमला जिले में मवेशियों में लंपी चर्म रोग फैल रहा है. मवेशियों में फैलनेवाला लंपी चर्म रोग एक संक्रामक वायरल रोग है. जो मवेशियों में मच्छरों, मक्खियों, जूं और ततैया के सीधे संपर्क में आने और दूषित भोजन और पानी के माध्यम से फैलता है. इस रोग के कारण मवेशी को बुखार होता है और त्वचा पर गांठें पड़ जाती हैं. जो मवेशियों के लिए घातक है. मवेशियों में इस संक्रमण के बढ़ते मामलों के कारण पशुपालन विभाग की चिंता बढ़ गयी है. हालांकि, वायरल संक्रमण के कारण अभी तक जिले में गो-जातीय मवेशियों की मौत नहीं हुई है. परंतु विभागीय अधिकारियों ने मवेशी पालकों से सावधानी बरतने की अपील की है.

लंपी चर्म रोग एक संक्रामक वायरल रोग

जिला गव्य विकास पदाधिकारी सह जिला पशुपालन पदाधिकारी डॉक्टर मोहम्मद कलाम ने बताया कि लंपी चर्म रोग (Lumpy Skin Disease) एक संक्रामक वायरल रोग है. जो मवेशियों में मच्छरों, मक्खियों, जूं और ततैया के सीधे संपर्क में आने और संक्रमित पशु के भोजन और पानी के माध्यम से फैल रहा है. इस रोग के कारण बुखार हो रहा है और त्वचा पर गांठें पड़ रही है.

Also Read: Lumpy Skin Disease: लंपी रोग दुधारू पशुओं के लिए बना संकट, जानें इसके लक्षण और बचाव के उपाय
इस नंबर पर कर सकते है संपर्क

डॉक्टर कलाम ने मवेशी पालकों से अपील की है कि यदि इस प्रकार के लक्षण पशुओं में देखने को मिले तो पशु डॉक्टर अथवा विभाग के टॉल फ्री नंबर 18003097711 पर संपर्क कर सकते हैं. इसके साथ ही पशुपालक लंपी से ग्रसित पशुओं के निकट जाने से पहले हैंड ग्लब्स एवं मास्क का प्रयोग करें. उन्होंने बताया कि चूंकि यह एक संक्रामक बीमारी है. इसलिए एक पशु से दूसरे पशु में भी फैलने की संभावना है. संक्रमित पशु के संपर्क में आने से दूसरा पशु भी बीमार हो सकता है.

बीमारी के लक्षण इस प्रकार

इस संक्रमण की चपेट में आने से पशु को बुखार आना, वजन में कमी होना, आंख से पानी टपकना, लार बहना, शरीर पर दाने निकलना, दूध उत्पादन में कमी आना, भूख न लगना आदि की समस्या होती है. यदि किसी पशु में इस प्रकार का लक्षण दिखता है तो दूसरे पशुओं को संक्रमित पशु के संपर्क में नहीं रखें.

रिपोर्ट: जगरनाथ, गुमला

Next Article

Exit mobile version