भूत-पिशाच से बचने के लिए गुमला के बसुवा गांव लगा लंडी जतरा, 30 साल बाद हुआ आयोजन, परपंरा काफी रोचक

गुमला में भूत-पिशाच और उनके प्रकोप से बचने के लिए लंडी जतरा की प्राचीन परपंरा है. इस बार 30 साल बाद गांव में लंडी जतरा का आयोजन हुआ है. लंडी जतरा की परपंरा काफी रोचक है.

By Prabhat Khabar Print Desk | May 6, 2023 12:07 PM

गुमला, दुर्जय पांसवान. झारखंड के गुमला जिला के बसुवा गांव को भूत-पिशाच व प्रकोप से बचाने के लिए 30 साल बाद लंडी जतरा (कोढ़िया) लगाया गया. 30 साल पहले कुछ कारणों से लंडी जतरा लगाने की परंपरा को बंद कर दिया गया था. इसके बाद गांव में कई अनहोनी घटनाएं घटी है.

30 साल बाद लगा गांव में लंडी जतरा

इधर, इन अनहोनी घटनाओं को रोकने के लिए फिर गांव में लंडी जतरा की परंपरा की शुरुआत की गयी. ग्रामीणों व प्रतिनिधियों की पहल के बाद 30 साल बाद गांव में लंडी जतरा लगा. जहां बसुवा पंचायत क्षेत्र के हजारों लोग भाग लिये और देवी देवताओं की पूजा की. साथ ही पूर्वजों की परंपरा के अनुसार नाच गान किया.

अब हर साल लगेगा लंडी जतरा

लंडी जतरा में बसुवा पंचायत क्षेत्र के कई खोड़हा दल भाग लिया. मांदर की थाप पर नाच गान किया. साथ ही प्राचीन परंपरा को जीवित रखने व अब हर साल लंडी जतरा लगाने का निर्णय लिया है. विधायक प्रतिनिधि करण पन्ना ने कहा कि हम सभी को अपनी संस्कृति को बचाने की आवश्यकता है. इस प्रकार से जतरा के आयोजन से हमारे बच्चे अपनी संस्कृति को जानेंगे. उसे आगे बढ़ायेंगे. गांव में सुख शांति बनी रहेगी.

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लंडी का अर्थ उरांव भाषा में कोढ़िया है

बसुवा के ग्राम प्रधान गौरी उरांव ने कहा कि गांव में करीब 30 साल के बाद लंडी जतरा लग रहा है. लंडी का अर्थ उरांव भाषा में कोढ़िया को कहा गया है. पूर्व में हमारे पूर्वज जतरा के लिये नाच गान करने दूसरे गांव जाते थे. उस दौरान अधिक वर्षा होने से गांव का बाकी नदी पूरी तरह से भर गया था. जिस कारण वे दूसरे गांव नहीं जा सके. जिसके बाद हमारे पूर्वज गांव के ही लंडी नामक एक चट्टान में जतरा लगाने लगे. उसके बाद से ही इस जतरा का नाम लंडी पड़ गया.

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