न सड़क, न बिजली, न स्वास्थ्य सुविधा, कैसे रहें, हाल जरडा पंचायत के मंगरूतल्ला गांव का

गांव के लाेग कुआं का पानी पीते हैं. ग्रामीण प्रसाद खेरवार, बौद्धा खेरवार, बुधराम खेरवार, तेजू चीक बड़ाइक, करमू कुजूर ने बताया कि हमारे गांव में चार पहिया वाहनों का आना मुश्किल है. गांव के लोग बरसात खत्म होने पर पहाड़ी (घाटीक्षेत्र) में बने रोड की मरम्मत करते हैं, तब जाकर चार पहिया वाहन मुश्किल से पहुंचते है. बरसात में यही सड़क पानी के बहाव के कारण जर्जर हो जाता है, जिससे गाड़ी का आना-जाना बंद हो जाता है. बरसात में बीमार लोगों को तीन चार किमी दूर बंडोटोली तक खटिया पर लिटा कर ले जाना पड़ता है. इसके बाद गाड़ी की व्यवस्था कर अस्पताल ले जाते हैं.

By Prabhat Khabar | February 18, 2021 1:12 PM

jharkhand news, Gumla News गुमला : जारी प्रखंड की जरडा पंचायत में मंगरूतल्ला गांव है. प्रखंड मुख्यालय से 12 किमी दूर है. यह गांव चारों ओर जंगलों एवं पहाड़ों के बीच बसा हुआ है. अभी तक इस गांव का विकास नहीं हो सका है. गांव में न ही पेयजल की व्यवस्था है और न ही इलाज के लिए स्वास्थ्य उपकेंद्र है और न ही बिजली. यहां तक सड़क तक नसीब नहीं है. ग्रामीण पगडंडी व पहाड़ी रास्ता से सफर करते हैं.

गांव के लाेग कुआं का पानी पीते हैं. ग्रामीण प्रसाद खेरवार, बौद्धा खेरवार, बुधराम खेरवार, तेजू चीक बड़ाइक, करमू कुजूर ने बताया कि हमारे गांव में चार पहिया वाहनों का आना मुश्किल है. गांव के लोग बरसात खत्म होने पर पहाड़ी (घाटीक्षेत्र) में बने रोड की मरम्मत करते हैं, तब जाकर चार पहिया वाहन मुश्किल से पहुंचते है. बरसात में यही सड़क पानी के बहाव के कारण जर्जर हो जाता है, जिससे गाड़ी का आना-जाना बंद हो जाता है. बरसात में बीमार लोगों को तीन चार किमी दूर बंडोटोली तक खटिया पर लिटा कर ले जाना पड़ता है. इसके बाद गाड़ी की व्यवस्था कर अस्पताल ले जाते हैं.

हाथी के हमले का डर बना रहता है :

गांव में बिजली का पोल है,लेकिन बिजली नहीं है. इस कारण बच्चों की पढ़ाई प्रभावित होती है. विशेष कर जब हाथी गांव में घुसता है, तो हाथियों के हमले का डर बना रहता है. बिजली नहीं रहने के कारण हाथियों को खदेड़ने में दिक्कत होती है.

जब तक बच्चे घर नहीं लौटते, डर रहता है :

ग्रामीणों ने बताया कि गांव में एक प्राथमिक विद्यालय है, लेकिन आगे की पढ़ाई के लिए भिखमपुर तथा जारी जाना पड़ता है. इसके लिए जंगल झाड़ से गुजर कर जाना पड़ता है. ऐसे में अभिभावकों को जब तक बच्चे लौट कर नहीं आते हैं, चिंता बनी रहती है. पेयजल एवं स्वच्छता विभाग से बने शौचालय को भी संवेदक द्वारा जैसे तैसे बना दिया है. इस कारण उपयोगी नही है. ग्रामीणों ने गांव की समस्या दूर करने की मांग प्रशासन से की है.

Posted By : Sameer Oraon

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