अधिक बारिश से मूंगफली, मक्का, अरहर, गोंदली की फसलों को नुकसान

कृषि वैज्ञानिक ने कहा, इस वर्ष रबी फसल काफी अच्छी होने की है संभावना

By Prabhat Khabar News Desk | August 8, 2025 10:35 PM

बिशुनपुर. गुमला जिले में लगातार हो रही बारिश से टांड़ की फसलों को नुकसान हुआ है. इन फसलों में मूंगफली, मक्का, अरहर व गोंदली की फसल शामिल हैं. बारिश ने इन फसलों पर सीधा प्रभाव डाला है. जिले में इन फसलों का आच्छादन काफी कम हुई है. कृषि विज्ञान केंद्र गुमला के वैज्ञानिक अटल बिहारी तिवारी ने किसानों को सलाह दी है कि अगर मौसम खुलता है या बारिश रुक जाती है, तो खेत की जुताई कर अधिक से अधिक खेत में उड़द, सरगुजा, कुलथी व मूंग की खेती करें. क्योंकि उड़द, कुलथी व मूंग 65 से 75 दिनों के अंदर तैयार हो जाती है. वहीं सरगुजा लगभग 90 से 95 दिन में तैयार हो जाता है. इसके बाद इस फसल की कटाई के बाद तोरिया, सरसों, मसूर, तीसी, बाटूरा, साहबसेम व मटर की खेती आसानी से कर सकते हैं. क्योंकि इस वर्ष जलस्तर काफी ऊपर है. साथ ही साथ जिले में विभिन्न जल सहयोग व जलस्रोतों की स्थिति काफी अच्छी है, जिससे रबी की फसल अच्छी होने की संभावना है.

आम के पौधों पर कीड़ा लगने का डर

इस मौसम में बारिश की स्थिति को देखते हुए कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिक अटल बिहारी तिवारी ने बताया कि जिले में लगभग पांच हजार हेक्टेयर में आम की खेती की जा रही है. जिसमें इस समय विभिन्न प्रकार के कीड़े लगने की संभावना बढ़ जाती है. इसे रोकने की आवश्यकता है. क्योंकि इस समय पौधों में नये-नये कल्ले निकलते हैं, जिनमें तना छेदक कीट से काफी नुकसान पहुंचता है, जिससे आम के पौधे की बढ़ने की क्षमता रुक जाती है. इसकी रोकथाम के लिए सर्वप्रथम पौधों पर किसी प्रकार के कैटर पिलर दिखायी दें. उसे मिट्टी में दबा दें. रासायनिक रूप से नियंत्रित करने के लिए विभिन्न प्रकार के कीटनाशक उपलब्ध हैं. जैसे क्विनालफास दो मिलीलीटर प्रति लीटर या डायमेथोएट 1.5 मिलीलीटर प्रति लीटर पानी की दर 10 से 15 दिन के अंतराल पर दो बार छिड़काव करना चाहिए.

कृषि वैज्ञानिक ने कहा

कृषि वैज्ञानिक डॉ संजय कुमार ने कहा कि किसान बड़े पैमाने पर सब्जी की खेती रबी मौसम में कर सकते हैं, जिससे उनकी आमदनी बढ़ेगी. उन्होंने बताया कि इस वर्ष गुमला जिले में धान का आच्छादन लगभग शत-प्रतिशत रहा है. अभी की स्थिति को देखते हुए इस वर्ष गुमला जिले में पर्याप्त मात्रा में धान उत्पादन होने की संभावना है.

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