डुमरी में 63 वर्षों से मनायी जा रही है दुर्गा पूजा
डुमरी में 63 वर्षों से मनायी जा रही है दुर्गा पूजा
डुमरी. डुमरी प्रखंड में दुर्गा पूजा महोत्सव का आयोजन 63 वर्षों से हो रहा है. इस संबंध में दुर्गा पूजा समिति के पूर्व अध्यक्ष जगरनाथ प्रसाद ने बताया कि वर्तमान में समिति के अध्यक्ष अनिरुद्ध चौधरी व सचिव अभिमन्यु जायसवाल हैं. डुमरी में 1962 ईस्वी में दुर्गा पूजा की परंपरा की शुरुआत हुई. उस समय राम नारायण साव की अगुवाई में मांझी साव, जामुन साव, चंदू साव, बहादुर साव, श्री साव समेत अन्य ग्रामीणों ने पूजा शुरू की थी. प्रारंभिक वर्षों में बाजारटांड़ स्थित देवी गुड़ी मंडप के समीप प्लास्टिक की छपरी बना कर मां दुर्गा की फोटो रख कर पूजा शुरू की गयी थी. इसके कुछ वर्षों बाद पूर्णिया (बंगाल) से मूर्तिकार बुलाये जाने लगे, जिन्हें मूर्ति निर्माण के लिए मात्र 251 रुपये दिया जाता था. उस दौर में ग्रामीणों ने घर-घर से कपड़ा व सहयोग राशि इकट्ठा कर पूजा का आयोजन किया. विजयादशमी के दिन प्रतिमा को कंधे पर उठा कर डुमरी, बेलटोली, नवाडीह, टांगरडीह आदि गांवों में भ्रमण कराया जाता था. इसमें लालू उरांव, पेठयार उरांव, मुरारी घासी, कुबा घासी, जगमोहन उरांव, मनिचर उरांव आदि का मुख्य योगदान रहता था, जो अब सभी कोई दिवंगत हो चुके हैं. उस समय बिजली व जेनरेटर की सुविधा न होने के कारण पूजा पेट्रोमैक्स की रोशनी में होती थी. विशेषकर नवमी की रात में खोडहा नाच-गान का आयोजन होता थ, जिसमें विभिन्न गांवों के लोग ढोलकी, मंदार, झांझर व तबला बजा कर रातभर सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत करते थे. अगले दिन समिति द्वारा खोडहा दलों को चूड़ा व गुड़ देकर विदाई दी जाती थी. सभी खोडहा दल दूसरे दिन सुबह दुर्गा माता रानी को प्रणाम कर आशीर्वाद लेकर अपने-अपने घर को प्रस्थान करते थे. समय के साथ जब आर्केस्ट्रा व डीजे साउंड प्रचलन में आया, तो खोड़हा नाच की परंपरा खत्म हो गयी. इसके बाद डुमरी में नौ दिनी रामलीला कार्यक्रम शुरू हुआ. इस वर्ष अब तक पूजा समिति द्वारा कार्यक्रम करने का निर्णय नहीं लिया गया है.
डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है
