1932 ईस्वी में हुई थी बनारी गांव स्थित रोमन कैथोलिक चर्च की स्थापना
संत जोसेफ चर्च ने बदली शिक्षा व स्वास्थ्य की तस्वीर
बिशुनपुर. बिशुनपुर प्रखंड के बनारी गांव में स्थित रोमन कैथोलिक चर्च का इतिहास लगभग नौ दशक पुराना है. इसकी स्थापना वर्ष 1932 ईस्वी में ब्रिटिश फादर डिकाइजर ने की थी. उस समय क्षेत्र में ईसाई समाज की जनसंख्या लगभग नगण्य थी और पूरा इलाका आदिवासी बहुल था, जहां अंधविश्वास व अशिक्षा का बोलबाला था. इन्हीं परिस्थितियों के बीच फादर डिकाइजर ने बनारी लाइनटोली गांव में संत जोसेफ चर्च की नींव रखी. आज इस चर्च का न सिर्फ धार्मिक विस्तार हुआ है, बल्कि शिक्षा व स्वास्थ्य क्षेत्र में भी चर्च महत्वपूर्ण योगदान दे रहा है. बनारी लाइनटोली के प्रबुद्धजनों के अनुसार शुरुआती दौर में क्रिसमस पर्व पूरे क्षेत्र में खास उत्साह के साथ मनाया जाता था. 24 दिसंबर की रात सभी मसीही परिवार सामूहिक रूप से चर्च पहुंचते थे, जहां मिस्सा प्रार्थना के साथ प्रभु यीशु के जन्मोत्सव पर जागरण का आयोजन होता था. इसके बाद परम प्रसाद ग्रहण कर लोग अपने-अपने घर लौटते थे. 25 दिसंबर की सुबह विशेष रूप से बनाये जाने वाले अरिसा, रोटी समेत अन्य पारंपरिक पकवानों का आनंद लिया जाता था. इसके बाद बुजुर्गों से लेकर बच्चों तक सभी लोग पारंपरिक वाद्य यंत्रों के साथ नाच-गान में शामिल होते थे, जिससे पूरे गांव में उत्सव का माहौल बन जाता था. हालांकि समय के साथ क्रिसमस मनाने का स्वरूप आधुनिक हो गया है. स्थानीय लोगों का कहना है कि वर्तमान पीढ़ी को पुरानी परंपराओं और सांस्कृतिक विरासत को बचाने की पहल करनी चाहिए. उन्होंने कहा कि क्रिसमस पर्व प्रभु यीशु के जन्मोत्सव का प्रतीक है, इसलिए इसे मिल-जुल कर मनाना चाहिए और एक-दूसरे की मदद के लिए सदैव तत्पर रहना चाहिए.
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