Surya Hansda Encounter: मामले की जांच करने गोड्डा पहुंची NCST टीम, कहा- “कई कड़ियां गायब…”
Surya Hansda Encounter: सूर्या हांसदा एनकाउंटर पर उठ रहे सवालों के बीच कल रविवार को राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग की टीम मामले की जांच करने गोड्डा पहुंची. यहां टीम ने कई जगहों का निरीक्षण किया. साथ ही कई लोगों से पूछताछ भी की. जांच के बाद टीम का नेतृत्व कर रही आशा लकड़ा ने कहा कि कई कड़ियां गायब है.
Surya Hansda Encounter: सूर्या हांसदा एनकाउंटर का मामला राज्य में चर्चा का विषय बना हुआ है. इस मुद्दे को लेकर विपक्ष भी लगातार सरकार और प्रशासन पर हमलावर है. इसी बीच कल 24 अगस्त को राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग (NCST) की आठ सदस्यीय टीम गोड्डा पहुंची. आयोग की सदस्य आशा लकड़ा के नेतृत्व में सूर्या हांसदा एनकाउंटर मामले की जांच के सिलसिले में टीम ने कल विभिन्न स्थानों का दौरा किया.
टीम ने किया रहदबड़िया पहाड़ी का दौरा
गोड्डा पहुंची एनसीएसटी की टीम ने कल रविवार को सूर्या हांसदा के परिजनों और पैतृक गांव लालमटिया के लोगों से पूछताछ की. साथ ही टीम ने रहदबड़िया पहाड़ी का भी दौरा किया, जहां 10 अगस्त को पुलिस के साथ मुठभेड़ में सूर्या हांसदा की मौत हुई थी. इस दौरान एनसीएसटी टीम ने गोड्डा की उपायुक्त अंजलि यादव और पुलिस अधीक्षक मुकेश कुमार से भी मुलाकात की.
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पुलिस के दावों में कई कड़ियां गायब- आशा लकड़ा
जांच के दौरान आशा लकड़ा ने बताया कि पुलिस के दावों में कई कड़ियां गायब हैं. उन्होंने कहा, “पुलिस कहती है कि हांसदा पर 25 मामले दर्ज थे, जबकि स्थानीय लोग उन्हें सामाजिक कार्यकर्ता बताते हैं. हमने एसआईटी में शामिल पुलिसकर्मियों के नाम और सूर्या हांसदा के खिलाफ दर्ज सभी मामलों की प्रतियां मांगी हैं. जिला प्रशासन से सात दिन में रिपोर्ट देने को कहा गया है.”
एनकाउंटर पर विपक्ष उठा रहा सवाल
सूर्या हांसदा एनकाउंटर का यह मामला भाजपा सांसद दीपक प्रकाश की शिकायत के बाद आयोग ने उठाया है. विपक्ष के नेता बाबूलाल मरांडी ने हांसदा की हत्या को साजिश के तहत की गयी मुठभेड़ बताया. इसके अलावा राज्य विपक्ष के कई विधायक लगातार इस एनकाउंटर पर सवाल उठा रहे हैं. इधर राज्य सरकार ने मामले की जांच सीआईडी को सौंप दी है.
राजनीति से भी जुड़ा था सूर्या हांसदा
उल्लेखीय है कि सूर्या हांसदा ने वर्ष 2019 में भाजपा के टिकट पर बोड़ियो से विधानसभा चुनाव लड़ा था, जबकि 2024 में टिकट न मिलने पर उन्होंने झारखंड लोकतांत्रिक क्रांतिकारी मोर्चा (जेकेएलएम) से चुनावी मैदान में किस्मत आजमाई थी. हालांकि दोनों ही समय उन्हें हार का सामना करना पड़ा.
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