World Disability Day: दिव्यांग संतोष दिव्यांगों के चेहरे पर ऐसे ला रहे मुस्कान, साथ देती हैं पत्नी मीना

गिरिडीह के दिव्यांग संतोष कुमार कहते हैं कि दिव्यांग व सामान्य लड़कियों को सिलाई-बुनाई के क्षेत्र में प्रशिक्षण के लिए कमरे की व्यवस्था नहीं है. इसकी कमी खलती रहती है. सरकारी सहयोग मिले तो और बेहतर कर सकेंगे. पिछले एक दशक से वे दिव्यांगों के चेहरे पर मुस्कान ला रहे हैं. 

By Guru Swarup Mishra | December 3, 2022 6:17 PM

World Disability Day: गिरिडीह जिले के बगोदर प्रखंड की कुशमरजा पंचायत के खटैया गांव के संतोष 75 फीसदी दिव्यांग हैं. पीजी तक पढ़ाई कर चुके संतोष 2007 से मानव विकलांग सेवा केंद्र चला रहे हैं. अपनी संस्था के माध्यम से वे करीब 40 दिव्यांग छात्रों को मदद करते हैं. दिव्यांग बालिकाओं के साथ-साथ अन्य लड़कियों को उन्होंने गांव में सिलाई, कढ़ाई, बुनाई की सुविधा दी है. वे कहते हैं कि सरकारी मदद मिले, तो और बेहतर कर सकते हैं.

दिव्यांगों के चेहरे पर ला रहे मुस्कान

संतोष फेसबुक से जुड़े लोगों से आर्थिक सहयोग लेते हैं और क्षेत्र के दिव्यांगों के बीच कपड़े, किताबें एवं कॉपी का वितरण करते आ रहे हैं. इस कार्य में उनका साथ देती हैं पत्नी मीना देवी. चलने-फिरने में असमर्थ संतोष के हर कदम पर वह खड़ी रहती हैं. दिव्यांग संतोष कुमार पिछले एक दशक से दिव्यांगों के चेहरे पर मुस्कान ला रहे हैं. 

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सरकारी मदद मिले, तो करेंगे बेहतर

संतोष कहते हैं कि दिव्यांग व सामान्य लड़कियों को सिलाई, बुनाई के क्षेत्र में प्रशिक्षण के लिए कमरे की व्यवस्था नहीं है. इसकी कमी खलती रहती है. सरकारी सहयोग मिले तो और बेहतर कर सकेंगे. इस संस्था से संगीता कुमारी, संजय सिंह, दुलारी कुमारी, राज कुमार, अफरीन खातून, सुमित्रा कुमारी, विवेक कुमार, हीरालाल महतो, गोपाल कुमार, स्वाति कुमारी, चंचला कुमारी, दिव्यांग शिक्षक साबीर अंसारी, पंकज कुमार, संगीता कुमारी, दुलारी कुमारी, लक्ष्मी कुमारी, जागेश्वरी कुमारी, कुलदीप महतो समेत 40 दिव्यांग जुड़े हैं.

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रिपोर्ट : कुमार गौरव, बगोदर, गिरिडीह 

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