Giridih News :कोशिलवा गांव जाने के लिए आज तक नहीं बनी सड़क

Giridih News :तिसरी प्रखंड के विभिन्न सुदूरवर्ती क्षेत्रों और कई गांवों तक पहुंचने के लिए सड़क बन गयी है. लेकिन, प्रखंड मुख्यालय से महज दो किमी की दूरी पर स्थित कोशिलवा, सिजुआ, पिपराटांड़ तक पहुंचने के लिए सड़क नहीं बनी है.

By PRADEEP KUMAR | December 4, 2025 11:36 PM

सड़क बनने से उक्त गांवों के अलावा चोरनीतरी व अन्य गांवों के लोगों को आवागमन में सुविधा होगी. सरकार और जनप्रतिनिधियों की अनदेखी के कारण आजत कर सड़क नहीं बनी है. इससे ग्रामीणों में नाराजगी है. कोशिलवा के लोगों ने बताया कि तिसरी पंचायत के आदिवासी बहुल क्षेत्रों की घोर उपेक्षा हो रही है. गांव की सबसे बड़ी समस्या सड़क की है. गांव तक पहुंचने के लिए कच्ची सड़क है, जो बरसात में टूट जाती है. इससे गांव आनाृजाना मुश्किल हो जाता है. यहां तक कि गांव के मवेशियों को भी निकलने में परेशानी होती है. कहा कि कई बार जिला प्रशासन और स्थानीय जनप्रतिनिधियों को इस समस्या से अवगत कराया गया, लेकिन आश्वासन के सिवा कुछ नहीं मिला.

क्या कहते हैं ग्रामीण

प्रखंड के लगभग गांवों तक पहुंचने के लिए सड़कें बनायी गयी हैं, लेकिन हमारा गांव उपेक्षा का शिकार हुआ. वर्षों से मांग करने के बाद भी किसी ने इस ओर ध्यान नहीं दिया है. सड़क की मांग को लेकर एक बार चुनाव बहिष्कार करने की बात कही थी. इसके बाद किसी ने ध्यान नहीं दिया.

मनोज हेंब्रम

सड़क नहीं बनने से हमलोग सालों भर परेशान रहते हैं. बरसात के दिनों में तो आवागमन पूर्ण रूप से ठप हो जाता है. सड़क बन जाये, तो आधा दर्जन से अधिक गांवों के ग्रामीणों को लाभ मिलेगा. इससे भूलाडीह, कुड़ियामो और रतन गोदरा के लोगों को भी फायदा होगा. इस पर ध्यान देने की जरूत है.

निर्मल हेंब्रम

जनप्रतिनिधि केवल वोट लेने के लिए गांव में पहुंचते हैं. वोट लेने के बाद सब भूल जाते हैं. उन्हें आम आदमी से कोई सरोकार नहीं है. यदि सरोकार रहता तो कब की यह सड़क बन गयी होती. कहा कि सड़क ही हमारे गांव की सबसे बड़ी समस्या है. सड़क बनने से सारी समस्या का समाधान हो जायेगा.

संझली हांसदा

सरकार कई योजना चला रही है लेकिन मूलभूत सुविधा हम आदिवासियों को नहीं दी जा रही है. हमलोग कई विधायक और मुखिया से तिसरी थंभाचक से पिपराटांड़ वाया कोशिलवा पथ निर्माण की मांग कर चुके हैं, लेकिन सभी ने बस आश्वासन ही दिया है. अभी तक सड़क बनाने की कोई पहल नहीं हुई है.

शांति मरांडी

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