Giridih News :12 वर्षों तक नक्सली दस्ता में रहकर जंगलों में भटकता रहा शिवलाल
Giridih News :गिरिडीह के मधुबन थानांतर्गत पारसनाथ पहाड़ की तराई में बसा एक छोटा-सा गांव है तारोटांड़ टोला. बमुश्किल पांच घर हैं यहां. इसी शांत और सुदूर बसे टोले के शिवलाल हेंब्रम उर्फ शिवा को आर्थिक तंगी ने महज़ 13 वर्ष की कच्ची उम्र में वर्ष 2013 में घर छोड़कर नक्सली दस्ते में शामिल होने को मजबूर हुआ था.
परिवार को लगा था कि वह मजदूरी करने बाहर गया है, पर वह जंगल की ओर निकल पड़ा और नक्सली संगठन में शामिल हो गया. कुछ दिन पहले ही शिवलाल ने अपनी पत्नी संग पुलिस के समक्ष आत्मसमर्पण कर दिया. इससे परिवार को वर्षों बाद राहत की सांस मिली.
घरवालों को लगा था कि बेटा काम करने बाहर जा रहा है
शुक्रवार को प्रभात खबर की टीम शिवलाल के गांव पहुंची तो वहां मौजूद पिता रामा हेंब्रम ने बताया कि उन्हें कभी अंदाज़ा भी नहीं था कि उनका बेटा नक्सली संगठन में चला जायेगा. कहा कि उसकी उम्र उस समय सिर्फ़ 13 वर्ष ही हो रही थी. वह पास के दलांचलकरी स्कूल में छठी कक्षा में पढ़ता था. रामा बताते हैं कि पहले वह पारसनाथ पहाड़ पर डोली मजदूरी कर परिवार चलाता था. घुटने ख़राब हो जाने के कारण उन्होंने यह काम छोड़ दिया है और गांव में ही खेती-बारी करते हैं. उन्होंने कहा कि एक दिन शिवलाल ने कहा कि वह काम करने बाहर जा रहा है. घर में भी सभी को लगा कि वह मजदूरी करने जा रहा है, पर उस दिन के बाद वह कभी लौटा ही नहीं. कुछ दिनों बाद पता चला कि वह नक्सली दस्ते में शामिल हो गया है. उन्होंने कहा कि अब बस यही चाहत है कि वह सामान्य जीवन जीते हुए खेती-बारी कर परिवार संभाले और समाज की मुख्यधारा से जुड़े.
संगठन में रहकर ही सरिता से शिवलाल ने की थी शादी
नक्सली संगठन में सक्रिय रहने के दौरान शिवलाल हेंब्रम उर्फ शिवा ने वर्ष 2024 में सरिता हांसदा से शादी कर ली थी. इसकी जानकारी परिवार को नहीं थी. पिता बताते हैं कि उन्हें तो यह भी नहीं पता था कि बेटा अब जिंदा भी है या नहीं. पिता रामा ने बताया कि शिवलाल नक्सली संगठन में क्यों शामिल हुआ, यह बात आज तक किसी को नहीं पता. हालांकि उनका मानना है कि घर की आर्थिक तंगी ने ही उसे यह राह चुनने पर मजबूर किया होगा. उस वक्त परिवार की हालत बहुत ही खराब थी. रामा पारसनाथ पहाड़ पर डोली मजदूरी कर किसी तरह घर चलाते थे, जबकि शिवलाल पढ़ाई करता था.
रोजगार की तलाश में गया था अजमेर, पत्नी संग लौटा
पिता रामा ने बताया कि इसी साल अप्रैल में अचानक शिवलाल अपनी पत्नी के साथ घर लौट आया. घर पहुंचते ही उसने बताया कि उसने नक्सली संगठन छोड़ दिया है और अब सामान्य जीवन जीना चाहता है. परिवार ने भी उम्मीद की कि अब उनका बेटा घर पर ही रहेगा. कुछ दिनों तक शिवलाल अपनी पत्नी सरिता के साथ गांव में रहा, फिर रोज़गार की तलाश में अजमेर चला गया. लेकिन, उस पर पहले से दर्ज नक्सली मामलों की वजह से वह चैन से नहीं रह सका. अंततः उसने अपनी पत्नी के साथ मिलकर पुलिस के समक्ष आत्मसमर्पण करने का फैसला किया. कहा कि जब वह पत्नी के साथ लौटा तो उन्हें लगा जैसे सालों बाद हमारा खोया बेटा वापस मिल गया. कहा कि अब जब उसने आत्मसमर्पण किया है, तो बस यही दुआ है कि सरकार उसे नया जीवन शुरू करने का मौका दे. चार बेटों में सबसे बड़ा था शिवलाल : पिता रामा हेंब्रम बताते हैं कि उनके कुल चार बेटे हैं. इनमें सबसे बड़ा शिवलाल है. उसने कम उम्र में ही घर छोड़ दिया था. उन्होंने कहा कि परिवार की आर्थिक स्थिति बेहद कमजोर है. बड़े बेटे शिवलाल के घर छोड़ने के बाद से परिवार की जिम्मेदारी मंझले पर है. वही मजदूरी करके किसी तरह घर चलाता है. उसकी शादी हो चुकी है और पत्नी भी काम में हाथ बंटाती है. बाकी दो छोटे-छोटे बेटे मोहनपुर के सरकारी स्कूल में पांचवीं और तीसरी कक्षा में हैं. वे कहते हैं अब यही चाहत है कि बाकी बच्चे पढ़-लिखकर कुछ बन जाएं. जब शिवलाल जेल से छूटकर आएगा, तो वह उसे दोबारा कभी नक्सली संगठन में नहीं जाने देंगे. वह चाहते हैं कि बेटा और बहू यहीं गांव में उनके साथ रहें, सामान्य जीवन जिएं और घर-परिवार संभालें.
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