Giridih News :नववर्ष पर कोदवारी झरने पर उमड़ते हैं लोग, रोमांच और जोखिम के बीच जश्न
Giridih News :खोरीमहुआ अनुमंडल क्षेत्र अंतर्गत धनवार प्रखंड के ओपी घोड़थंभा क्षेत्र में कोदवारी गांव के घने जंगलों और नैसर्गिक वादियों के बीच स्थित झरना नववर्ष पर सैलानियों के आकर्षण का केंद्र बन गया है.
खोरीमहुआ अनुमंडल क्षेत्र अंतर्गत धनवार प्रखंड के ओपी घोड़थंभा क्षेत्र में कोदवारी गांव के घने जंगलों और नैसर्गिक वादियों के बीच स्थित झरना नववर्ष पर सैलानियों के आकर्षण का केंद्र बन गया है. हर साल की तरह इस बार भी बड़ी संख्या में पर्यटक यहां पहुंचने लगे हैं. ठंडे उफनते झरने में स्नान कर नववर्ष की मस्ती दोगुनी हो जाती है. सुबह से ही युवक-युवतियों और परिवारों की भीड़ झरना के आसपास देखी जाती है. इस जमावड़े से पूरा इलाका में मेले जैसा नजारा दिखने लगा.
प्राकृतिक सौंदर्य से ख्याति बटोर रहा गांव
घने जंगलों के बीच स्थित कोदवारी का झरना अपने प्राकृतिक सोंदर्य, चट्टानों से गिरते दूधिया पानी और शांत वातावरण के कारण पूरे क्षेत्र में प्रसिद्ध है. दूर-दराज के गांवों के साथ-साथ आसपास के गांवों तथा कस्बों से भी बड़ी संख्या में लोग यहां पहुंचते हैं. झरने के आसपास के जंगलों में लोगों को पिकनिक मनाते, फोटो और वीडियो बनाते हुए और प्रकृति के बीच नये साल का जश्न मनाते साफ देखा जा सकता है.जोखिमवाले स्थानों पर बैरिकेडिंग की जरूरत
हालांकि इस झरने से जुड़ा एक कड़वा सच भी है. पिछले कुछ वर्षों में यहां फिसलकर गहरे पानी में चले जाने और सुरक्षा इंतजामों के अभाव में कई हादसे हो चुके हैं. इन हादसों में कुछ लोगों की जान भी जा चुकी है. बावजूद इसके पर्यटकों के उत्साह में कोई कमी नहीं आई है. अधिकांश लोग जोखिम की परवाह किये बिना चट्टानों पर चढ़ते और तेज धार के बीच स्नान करते अक्सर नजर आ जाते हैं. स्थानीय राजकुमार, यादव, सहदेव यादव, विजय पंडित, संजय सिंह आदि ग्रामीणों के अनुसार हर वर्ष नववर्ष और अन्य पर्वों के दौरान यहां हजारों लोग पहुंचते हैं, पर सुरक्षा के लिए न तो पर्याप्त बैरिकेडिंग की जाती है और न ही प्रशिक्षित गोताखोर या प्रशासनिक निगरानी की स्थायी व्यवस्था रहती है. कई बार चेतावनी बोर्ड लगाये गये, पर लोग रोमांच के चक्कर में उन निर्देशों की अनदेखी कर देते हैं.ठोस पहल करने की मांग
गौरतलब है कि प्राकृतिक सौंदर्य और रोमांच का यह संगम जहां लोगों के लिए आकर्षण का केंद्र बना हुआ है. वहीं हर साल होने वाली दुर्घटनाएं यह भी याद दिलाती है कि आनंद के साथ सतर्कता भी आवश्यक है. नववर्ष का जश्न मनाने आये लोगों के लिए यह झरना जहां खुशी और उमंग का प्रतीक है. वहीं यह प्रशासन और समाज के लिए भी एक बड़ी चुनौती बना हुआ है. बहरहाल यहां प्रशासनिक खानापूर्ति के बजाय इन उत्सवी दिनों में ठोस कदम उठाए जाने की आवश्यकता है जिससे नव वर्ष का उत्साह अप्रत्याशित हादसों की भेंट न चढ़ जाए तथा लोग स्वच्छंद, स्वतंत्र, बेझिझक और निर्भिक होकर प्राकृतिक छटाओं का भरपूर आनन्द उठा सकें.कैसे पहुंचे
खोरीमहुआ अनुमंडल कार्यालय से बलहरा, तारानाखो के रास्ते करीब 17 किलोमीटर की दूरी तय कर कोदवारी तक जाया जा सकता है. घोड़थंभा ओपी कार्यालय से तारानाखो, बभनी के रास्ते भी आठ किलोमीटर की दूरी तय कर यहां पहुंचा जा सकता है.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है
