Giridih News :हजरत हुसैन की शहादत याद दिलाता है मुहर्रम

Giridih News :मुहर्रम इस्लामिक साल का पहला महीना है और इसी महीने में हजरत हुसैन ने इस्लाम को ताउम्र जिंदा रखने के लिए अपने कुनबे को कुर्बान कर दिया था. मुहर्रम हमें इस्लाम के लिए हजरत हुसैन की शहादत याद दिलाता है.

By PRADEEP KUMAR | July 5, 2025 11:25 PM

मुहर्रम इस्लामिक साल का पहला महीना है और इसी महीने में हजरत हुसैन ने इस्लाम को ताउम्र जिंदा रखने के लिए अपने कुनबे को कुर्बान कर दिया था. मुहर्रम हमें इस्लाम के लिए हजरत हुसैन की शहादत याद दिलाता है. मौलाना कमरुद्दीन निजामी ने रखे शहादत ए हुसैन के वाक्या के कुछ अंश.

खत भेज कूफावालों ने भेजा था बुलावा

कूफावालों ने हजरत हुसैन को खत भेजकर बुलावा भेजा था, कि उनसे बैत (अनुयायी) होना चाहते हैं. खत मिलने के बाद हजरत हुसैन ने वहां का जायजा लेने हजरत मुस्लिम को भेजा. इस दौरान कूफा के 40 हजार लोग हजरत हुसैन के नाम पर बैत हो गये. कूफावालों की मुहब्ब्त देख हजरत मुस्लिम ने खत लिखकर हजरत हुसैन को कूफा बुलाया. लेकिन, इसकी सूचना मिलते ही कूफावाले यजीद ने अपने गवर्नर को बदल दिया और बसरा के गवर्नर को कूफा बुलाया.

रास्ते में ही मिल गयी थी हजरत मुस्लिम की शहादत की सूचना

हजरत मुस्लिम के खत के आधार पर हजरत हुसैन अपने कुनबे से 72 सहाबा के साथ कूफा रवाना हुए, लेकिन रास्ते मे ही उन्हें कूफावाले यजीद के धोखे व हजरत मुस्लिम की शहादत की खबर मिल गयी. इसके बावजूद उन्होंने इस्लाम की खातिरअपने कदम को पीछे नहीं हटाया और कूफा पहुंचे.

यजीद ने बनाया बैत होने या जंग का दबाव

जब हजरत हुसैन अपने कुनबे के 72 लोगों के साथ कूफा पहुंचे तो यजीद ने उन्हें अपने साथ बैत होने या जंग करने का दबाव दिया, लेकिन हजरत हुसैन ने एक अय्यार के साथ बैत होने से अच्छा इस्लाम को जिंदा रखने के लिए जंग ए मैदान का रास्ता अख्तियार किया.

यजीद ने नहर ए फरात का बंद किया पानी :

जब हजरत हुसैन यजीद के हाथों बैत नहीं हुए तो कूफावालों ने उन पर तरह-तरह की बंदिशें शुरू कर दी. नहर ए फरात का पानी बंद कर दिया, लेकिन हजरत हुसैन व उनके साथ आये 72 लोग भूखे प्यासे रहकर भी यजीद के साथ बैत नहीं हुए और जंग लड़ते रहे.

पानी मांगा तो हलक में उतार दिया तीर :

जंग ए मैदान में हजरत हुसैन के लाडले हजरत अली असगर प्यास से तड़पने लगे. तब हजरत हुसैन ने यजीद से फरमाया कि हमें सारी मुसीबतें मंजूर हैं, लेकिन दूधमुंहे की हालत देखो. उन्होंने अली असगर के लिए एक घूंट पानी मांगा तो यजीद ने उसके हलक में तीर उतार दिया.

…और सजदे में शहादत पायी हुसैन ने :

अपने नाना की उम्मत व इस्लाम को जिंदा रखने के लिए अपने कुनबे को कुर्बान कर चुके हजरत हुसैन कर्बला ए मैदान पहुंचे. अजान सुन उन्होंने दो रकअत नमाज का वक्त मांगा और नमाज पढ़ने लगे. जैसे ही हजरत हुसैन सजदे में गये, यजीद ने उनका सिर कलम कर दिया. हजरत हुसैन की शहादत ने इस्लाम को ताउम्र जिंदा रख दिया. इसलिए कहा भी गया है कि कत्ले हुसैन असल में मरगे यजीद हैं, इस्लाम जिंदा होता है हर कर्बला के बाद.

मुहर्रम की दसवीं आज, जगह-जगह जुलूस व अखाड़ा का होगा आयोजन

मुहर्रम की दसवीं रविवार को है. रविवार को कर्बला में फातिहा के साथ मुहर्रम संपन्न होगा. मुहर्रम की दसवीं को ले जगह जगह जुलूस व अखाड़ा का आयोजन होगा. मुस्लिम समुदाय के लोग कर्बला में सिरनी फातिहा करायेंगे. मुहर्रम की दसवीं को अखाड़ा कमेटी निसान के साथ जुलूस निकालती है. शाम को कर्बला में फातिहा होता है. इस दौरान मेले जैसा माहौल रहता है. मुहर्रम की दसवीं को ले कर्बला मैनेजिंग कमेटी ने फातिहा व अन्य कार्यक्रम की व्यापक तैयारी की है.

सिफा के लिए पैकबंद के सामने सोते हैं लोग

कर्बला या इमामबाड़े में मांगी गयी मन्नत पूर्ण होने पर कुछ लोग मुहर्रम के मौके पर पैकबंद के रूप में कर्बला की दौड़ लगाते हैं. पैकबंद विशेष वस्त्र पहनकर हाथ मे तलवार, मोरपंख आदि लेकर इमामबाड़े व कर्बला तक जाते हैं. इस दौरान पैकबंद या अली या हुसैन का नारा लगाते हैं. बताया जाता है कि इस क्रम जो लोग उनके रास्ते में दंडवत लेट जाते हैं और पैकबंद उन्हें लांघकर पार होते हैं, तो उनका कष्ट दूर हो जाता है. उन्हें बीमारियों या अन्य परेशानियों से सिफा (निजात) मिलती है.

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