Giridih news: कलश स्थापना कल, हाथी पर आयेंगी मां दुर्गा

Giridih news: अन्नपूर्णा पंचांग के अनुसार इस बार देवी का आगमन हाथी पर तथा विजयदशमी को प्रस्थान मनुष्य पर हो रहा है. इससे अच्छी बारिश व भरपूर फसल की प्राप्ति के संकेत मिल रहे हैं.

By MAYANK TIWARI | September 21, 2025 12:33 AM

सनातन धर्मावलंबियों के लिए शक्ति की अधिष्ठात्री देवी मां दुर्गा की पूजा का विशेष महत्व है. इसे आश्विन शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से दसवीं तिथि तक विशेष उत्साह के साथ मनाया जाता है. हिंदू धर्मावलंबी मंदिरों या पंडालों में मां दुर्गा की प्रतिमा स्थापित कर इनकी पूजा करते हैं. श्रद्धालु अपने घरों में कलश स्थापित कर नौ दिनों तक साधना में रहकर देवी के नौ रूपों की पूजा करते हैं. इस वर्ष शारदीय नवरात्र की शुरुआत 22 सितंबर सोमवार को हो रही है. देवी भागवत पुराण के अनुसार यदि नवरात्र सोमवार को प्रारंभ होता है, तो देवी दुर्गा हाथी पर सवार होकर आती हैं. मां दुर्गा का हाथी पर सवार होकर आना एक शुभ संकेत तथा शांति समृद्धि और ईश्वर का प्रतीक माना जाता है. इस संबंध में हजारीबाग रोड आरपीएफ पंच मंदिर के पुजारी सव्यवाची पांडेय ने बताया कि इस वर्ष आश्विन शुक्ल पक्ष में चतुर्थी तिथि की वृद्धि हो गयी है. इस कारण यह पक्ष 16 दोनों का है. नवरात्र में तिथि की वृद्धि शुभ फल कारक माना गया है.

सोमवार को सुबह से शाम तक किसी भी समय कर सकते हैं कलश स्थापन अनुष्ठान

उन्होंने बताया कि शारदीय नवरात्र में माता भगवती की पूजा अनुष्ठान करने से संबंधित 22 सितंबर सोमवार को सुबह से शाम तक किसी समय कलश स्थापना की जा सकती है. नवरात्र में सुख समृद्धि के लिए दुर्गा सप्तशती का पाठ स्वयं या ब्राह्मण द्वारा संकल्प लेकर करना परम पुण्य फलकारी होता है. बताया कि सोमवार 22 सितंबर को मां दुर्गा के प्रथम रूप शैलपुत्री की पूजा होगी, जबकि 23 सितंबर को ब्रह्मचारिणी देवी, 24 सितंबर को चंद्रघंटा देवी, 25 तथा 26 सितंबर को कुष्मांडा देवी, 27 सितंबर को देवी के पांचवें रूप स्कंदमाता, 28 सितंबर को कात्यानी देवी, 29 सितंबर को कालरात्रि, 30 सितंबर को महागौरी का पूजन व दर्शन होगा, जबकि एक अक्तूबर को महानवमी में सिद्धिदात्री की पूजा की जायेगी. दो अक्तूबर को विजयादशमी उत्सव, शम्मी पूजन, अपराजिता पूजन, नीलकंठ दर्शन आदि अनुष्ठान होंगे. पंडित सव्यसाची ने बताया कि सप्तमी तिथि में पूजा पंडालों में देवी प्रतिमाओं की स्थापना मूल नक्षत्र से युक्त सप्तमी तिथि में 29 सितंबर को दिन में 12:26 के पूर्व ही कर लेनी चाहिए. बताया कि अन्नपूर्णा पंचांग के अनुसार इस बार देवी का आगमन हाथी पर तथा विजयदशमी को प्रस्थान मनुष्य पर हो रहा है. इससे अच्छी बारिश व भरपूर फसल की प्राप्ति के संकेत मिल रहे हैं. बताया कि महाष्टमी का व्रत 30 सितंबर मंगलवार को होगा. पूजा पंडालों में की जाने वाली संधि पूजा इस दिन मध्याह्न 1:21 से लेकर 2 बजकर 9 मिनट तक की जायेगी. महानवमी का मान एक अक्तूबर को होगा. इस दिन 2:35 तक पूर्ण नवरात्रि के पूजन अनुष्ठान की समाप्ति व हवन किया जाना है. जबकि, दशमी तिथि में पूर्ण नवरात्रि व्रत का पारण किया जायेगा.

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