East Singhbhum News : पहाड़ व नदी से घिरे गांव में सड़क पुल नहीं, सुविधाओं से वंचित लोग
डुमरिया. मुख्यालय से 22 किमी दूर गड़ियाटांड़ी में रहते हैं 20 परिवार
डुमरिया . पूर्वी सिंहभूम जिले के डुमरिया प्रखंड की कांटाशोल पंचायत स्थित पितामाहली गांव के गड़ियाटांडी टोला के लोग आज भी मूलभूत सुविधाओं से वंचित हैं. यहां सरकारी सुविधाएं पहुंचने से पहले दम तोड़ देती हैं. डुमरिया प्रखंड मुख्यालय से लगभग 22 किमी दूर इस टोला तक जाने के लिए सड़क तक नहीं है. पहाड़ों के बीच बसे गांव के लोग आज भी अभिशप्त जिंदगी जी रहे हैं. यहां लगभग 20 परिवार रहते हैं, जिसमें हो व सरदार समुदाय के लोग हैं. यहां तक पहुंचने के लिए एक तरफ पहाड़, तो दूसरी तरफ नदी बाधक है. ग्रामीणों ने बताया कि बरसात में अगर कोई बीमार पड़ जाता है, तो अस्पताल पहुंचाना मुश्किल हो जाता है.
चार किमी दूर है स्कूल व आंगनबाड़ी, 30 बच्चों की पढ़ाई प्रभावित:
सड़क नहीं होने के कारण सबसे अधिक प्रभावित बच्चे हैं. गांव के लगभग 30 बच्चे शिक्षा से वंचित हैं. बच्चों को पढ़ाई के लिए सातबाखरा पहाड़ पार कर लगभग चार किमी दूर जाना पड़ता है. आंगनबाड़ी केंद्र भी सातबाखरा में है. इसके कारण बच्चे नियमित नहीं जा पाते हैं. हालांकि, परिजन केंद्र व स्कूल भेजने में बच्चों की भला समझते हैं. रास्ता बाधक बन जाता है. बरसात में पहाड़ी रास्ते से स्कूल व आंगनबाड़ी भेजना असंभव हो जाता है.जन्म प्रमाण पत्र नहीं होने से 20 बच्चों का नहीं बन रहा आधार:
गांव के 20 बच्चे आधार कार्ड नहीं होने से शिक्षा से वंचित हैं. जन्म प्रमाण पत्र नहीं होने के कारण बच्चों का आधार नहीं बन पा रहा है. ये सभी बच्चे छात्रवृत्ति, स्कूली ड्रेस, जूते, बैग आदि से वंचित हैं. प्रशासन ने इस दिशा में कोई ठोस पहल अब तक नहीं की है. आधार से वंचित बच्चों में मानी सावैयां, वीरसिंह सावैयां, तुराम सावैयां, नीतू सावैयां, सावित्री सावैयां, नानीके होनहागा, जीमा होनहागा, सुंदरी जामुदा, नानी जामुदा, डिबरु जामुदा, जीमा जामुदा, बामिया जामुदा आदि हैं.पीएम आवास ठेकेदार ने अधूरा छोड़ा:
गांव तक बिजली पहुंची है. पेयजल के लिए सोलर संचालित जलमीनार है. गांव में सिर्फ दो अबुआ आवास मिला है. बहुत पहले 6 प्रधानमंत्री आवास मिले थे, जिसे स्थानीय ठेकेदार ने अधूरा छोड़ दिया है.राशन लाने चार किमी व इलाज कराने सात किमी पैदल चलते हैं ग्रामीण
ग्रामीण करीब चार किमी दूर पहाड़ पार कर सातबाखरा से राशन लाते हैं. वहीं, उप स्वास्थ्य केंद्र के लिए गर्भवती महिलाओं व मरीजों को सात किमी पैदल तय कर कांटाशोल गांव या बड़ाबोतला उपस्वास्थ्य केंद्र जाना पड़ता है. कुछ दिन पूर्व एक महिला खाना बनाने के क्रम में आग से जल गयी थी. सडक नहीं होने के कारण गांव तक एंबुलेंस नहीं पहुंची. ग्रामीणों ने खटिया से मरीज को तीन किमी दिघी लाया, तब एंबुलेंस से सीएचसी पहुंचाया गया. वहां से एमजीएम रेफर कर दिया गया.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है
