East Singhbhum News : परवल की खेती से संवर रही अनाथों की जिंदगी
सब्जी की खेती के लिए विख्यात है सालबनी का महामिलन सेवाश्रम
गालूडीह. घाटशिला प्रखंड की बड़ाकुर्शी पंचायत के सालबनी गांव में स्थापित महामिलन सेवाश्रम संघ पटल की खेती के लिए जिले में विख्यात है. यहां पटल के साथ अन्य कई तरह की खेती आर्गेनिक विधि से की जाती है. इसके साथ पशुपालन भी होता है. खेती के पैसे से आश्रम में रह रहे करीब 20-22 अनाथ बच्चों की जिंदगी भी संवर रही है. यह काम महामिलन सेवाश्रम संघ के संचालक सुखदेव महाराज कई वर्षों से करते आ रहे हैं. उनके फार्म को देखने के लिए दूर-दूर से प्रगतिशील किसान और कृषि वैज्ञानिक पहुंचते हैं. दारीसाई कृषि विज्ञान केंद्र में जब भी कोई प्रशिक्षण होता है, तो यहां पहुंचने वाले किसानों को कृषि वैज्ञानिक क्षेत्र भ्रमण के लिए महामिलन सेवाश्रम ही लेकर जाते हैं. कृषि संकाय के विद्यार्थी जब रांची बिरसा कृषि विवि से आते हैं, तो उन्हें यहां का भ्रमण कराया जाता है. विद्यार्थी यहां खेती के सहज तरीके से समझ पाते हैं. महामिलन सेवाश्रम संघ के संचालक सुखदेख महाराज कहते हैं कि खेती से अनाथ बच्चे समेत आश्रम के सभी सदस्यों की जरूरतें पूरी करते हैं. सालों भर कुछ ना कुछ खेती करते हैं. उत्पाद बेचकर जरूरतें पूरी करते हैं. यहां का पटल सबसे विख्यात है. तार से जालीदार मचान बनाकर पटल की खेती की जाती है. हरे-हरे देशी पटल की काफी डिमांड है. साथ ही तालाब में मछली पालन, बत्तख पालन, मुर्गी पालन, अंडा उत्पादन भी किया जाता है. साथ ही अन्य कई तरह की सब्जियों की खेती भी यहां पारंपरिक विधि से होती हैं. सुखदेव महाराज के यहां रहने वाले गरीब बच्चों का खेती की आमदनी से परवरिश होता है. यहां के बच्चे पढ़ाई के लिए स्कूल-कॉलेज जाते हैं. सभी के अभिभावक सुखदेव महाराज हैं. एक अनाथ बच्ची जो गालूडीह रेलवे स्टेशन से मिली थी उसकी पढ़ाई कस्तूरबा में हो रही है. सुखदेव महाराज एक तरह से मानवता की मिसाल के साथ हरित क्रांति को नयी पहचान दे रहे हैं.
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