East Singhbhum News : स्वशासन व्यवस्था को सशक्त बनाने का संकल्प
गालूडीह. भूमिज समाज का मिलन समारोह, तीन राज्यों से पहुंचे समाज के लोग, मांदर-धमसे की थाप पर थिरके
गालूडीह.
सुवर्णरेखा परियोजना के गालूडीह बराज के पास रविवार को भारतीय आदिवासी भूमिज समाज के जिला कमेटी के बैनर तले भूमिज समाज का मिलन समारोह सह वनभोज का आयोजन किया गया, जिसमें पश्चिम बंगाल, ओड़िशा और झारखंड के विभिन्न हिस्सों से काफी संख्या में समाज के पुरुष, महिला और युवा पारंपरिक परिधान में शामिल हुए. महिलाएं लाल पाढ़ की साड़ी तो पुरुष धोती में दिखे. सुबह में लाया दिलीप सिंह ने पूजा की और समाज का झंडा फहराया. समाज के अगुवा शहीदों गंगानारायण सिंह, रघुनाथ सिंह, जगन्नाथ सिंह आदि को श्रद्धांजलि दी गयी, फिर कार्यक्रम शुरू हुआ. समारोह में भूमिज समाज के इतिहास और योगदान बताते हुए कहा कि भूमिज समाज ही असल भूमिपुत्र हैं. समाज के स्वशासन व्यवस्था को सशक्त बनाने का सामूहिक रूप से संकल्प लिया गया. समारोह में समाज के शिक्षा, रीति-रिवाज, परंपरा, भाषा, ग्राम व्यवस्था, संस्कार, खेलकूद, रोजगार, व्यवसाय पर चर्चा हुई. समाज के विकास पर मंथन हुआ. समारोह में पोटका पूर्व विधायक मेनका सरदार, जिला कमेटी के अध्यक्ष सुशेन सिंह, जन्मेजय सरदार, दिनेश सरदार, विमल सरदार, मेचालाल सरदार, जयसिंह सरदार, मनोहर सिंह और प्रदेश कमेटी के अध्यक्ष रथु सरदार, सचिव शुभंकर सिंह, खगेन सिंह, सोनाराम सिंह, रसोराज सिंह, जितेन सिंह, विशु सिंह, संजय सिंह, उलदा के ग्राम प्रधान छुटू सिंह, दिनेश सरदार, सुसेन सरदार, शुभंकर सरदार, बलराम सिंह, सुनाराम सरदार, जयसिंह भूमिज, गौर मोहन सिंह, मैयालाल सिंह, भरत दिगार, रविंद्र सिंह, शंभू सिंह, रुखमणि सिंह, मनीषा सिंह, जयश्री सिंह सरदार, सुष्मिता सरदार, सरस्वती सिंह, जुसना सिंह, रतना सिंह, उर्मिला सिंह, प्रमिला सिंह समेत अनेक ग्राम प्रधान, लाया, दियुरी, डाकुआ आदि उपस्थित थे. कार्यक्रम दोपहर से रात तक चलता रहा.भूमिज समाज पर हुई सामूहिक परिचर्चा
सामूहिक परिचर्चा भी हुई, जिसमें समाज के लोगों ने कहा कि चुआड़ और भूमिज विद्रोह की इस मिट्टी में भाषा, संस्कृति, परंपरा और ग्राम व्यवस्था को बचाये रखने की जरूरत है. इसके लिए सभी ने सामूहिक संकल्प भी लिया. तीनों राज्यों के भूमिज समाज ने एक-दूसरे से पारिवारिक एवं सामाजिक विचारों का आदान-प्रदान पर बल दिया. भूमिज समाज के सामाजिक और राजनीतिक विकास पर बात कही गयी. कहा कि घाटशिला धालभूम क्षेत्र वीर भूमि में स्थित है. ब्रिटिश हुकूमत ने कोलकाता में इस्ट इंडिया कंपनी के नाम से प्रवेश किया था और व्यवसाय को बढ़ाने की रणनीति के नाम पर जंगल महल में घुसपैठ कर भूमिज गांव में आक्रमण किया था. परिचर्चा में भूमिज समाज के इतिहास, शिक्षा, संस्कृति, रीति-रिवाज पर चर्चा हुई. मौके पर लाया, दियुरी, डाकुआ, पाणि गोराई को सम्मानित भी किया गया. परिचर्चा में कहा गया कि झारखंड राज्य 25 वर्ष पूरे कर लिये हैं. जनजातियों के लिए झारखंड राज्य अलग हुआ. राज्य अलग होने के बाद ज्यादातर मुख्यमंत्री आदिवासी ही रहे. यहां 18 तरह की खनिज संपदा है. 32 जनजाति हैं. वे अभी तक पिछड़े हुए हैं. राज्य में पलायन जारी है. यह गंभीर विषय है. यहां स्थानीय नीति नहीं बनी है, जिसके कारण पलायन हो रहा है.
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