East singhbhum news: मनरेगा मजदूरों को चार माह से नहीं मिली मजदूरी, विकास कार्य प्रभावित
घाटशिला : रोजगार सेवकों को भी जनवरी से नहीं मिला मानदेय
घाटशिला. घाटशिला प्रखंड की 22 पंचायतों के मजदूरों की मजदूरी और अन्य सामग्री का भुगतान नहीं होने से विकास कार्य प्रभावित होने लगे हैं. माह समाप्ति पर है. मजदूरों को अब तक मजदूरी नहीं मिली है. वहीं रोजगार सेवकों को जनवरी माह से अब तक मानदेय नहीं मिला है. रोजगार सेवक विभागीय अधिकारियों के निर्देशों का पालन करते हुए एक ओर फटकार झेलते हैं, तो दूसरी ओर कार्य स्थल पर मजदूरों के आक्रोश का सामना करना पड़ता है. इसके बावजूद मानदेय का भुगतान समय पर नहीं होता. नाम नहीं छापने की शर्त पर एक रोजगार सेवक ने बताया कि मजदूरों का तो पैसा बकाया है ही, हमलोगों का भी जनवरी से लेकर अप्रैल तक का मानदेय लंबित है. 10 जनवरी के बाद से मजदूरों की मजदूरी का भुगतान रुका है. घाटशिला प्रखंड की 18 पंचायतों में मनरेगा योजना के तहत विभिन्न कार्य चल रहे हैं. आसना पंचायत के माहताम गांव में फलदार पौधों के लिए गड्ढा खोदने वाले मजदूर बहादुर सिंह, गुरुचरण सिंह, हरि सिंह, मोतीलाल सिंह, बुद्धदेव मुर्मू, दुखी सोरेन और विक्रम सोरेन ने बताया कि एक माह पूरा होने को हैं, अभी तक मजदूरी नहीं मिली. वहीं ऐदलबेड़ा की महिला मजदूर गीता बागती, ताप्ती बागती, सोनाली लोहार, मंटू लोहार और रिया नामाता ने कहा कि हमलोग एक माह से अधिक समय से काम कर रहे हैं, लेकिन मजदूरी नहीं मिली. अगर जल्द भुगतान नहीं हुआ, तो काम छोड़ने पर मजबूर होंगे. दो करोड़ दस लाख मजदूरी और सामग्री का बकाया विभागीय सूत्रों के अनुसार घाटशिला प्रखंड में मनरेगा के तहत लगभग 2 करोड़ 10 लाख रुपये मजदूरी और सामग्री मद में बकाया है. इसमें करीब 1 करोड़ 4 लाख रुपये मजदूरी और 1 करोड़ 5 लाख रुपये सामग्री का भुगतान लंबित है. फिलहाल प्रखंड में लगभग 2500 योजनाएं चल रही हैं. इसमें तालाब, कुआं, मेड़बंदी और पौधरोपण शामिल है. इसके अलावा अबुआ आवास और प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत भी कार्य चल रहे हैं. भुगतान में देरी के कारण ग्रामीण इलाकों में विकास कार्यों के प्रभावित होने की आशंका बढ़ गयी है. कोट हां यह सच है कि मजदूरी और सामग्री मद का भुगतान लंबित है. मनरेगा आयुक्त को इस बारे में अवगत करा दिया गया है. फंड मिलते ही मजदूरों और सामग्री आपूर्तिकर्ताओं का भुगतान कर दिया जायेगा. इस दौरान कार्य बाधित नहीं होना चाहिए. इसका ख्याल रखा जा रहा है. -अनिकेत सचान, डीडीसी, पूर्वी सिंहभूम
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