खेतों तक नहर का पानी पहुंचाये सिंचाई विभाग

प्रभात संवाद में तोकीपुर के मयुराक्षी विस्थापित किसानों ने साझा की परेशानी, कहा

By RAKESH KUMAR | October 12, 2025 11:29 PM

नहर में झाड़ी ऊग आने से खेतों तक नहीं पहुंच रहा पानी विस्थापित किसानों को भगवान भरोसे करनी पड़ती है खेती रानीश्वर. प्रखंड क्षेत्र के तोकीपुर व आसपास के गांवों के खेतों तक नहर का पानी पहुंचाने की मांग मयुराक्षी विस्थापित किसानों ने की है. प्रभात संवाद के माध्यम से विस्थापित किसानों ने नहर का पानी खेतों तक पहुंचाने की जोरदार मांग की है. गांवों तक नहर बनाया गया है. पर नहरों की साफ-सफाई व मरम्मत के अभाव में अंतिम छोर तक पानी नहीं पहुंच रहा है. इससे किसानों को वर्षा पर ही निर्भर रहना पड़ रहा है. जिस साल अच्छी बारिश होती है, उस साल खेती हो पाती है. नहीं तो खेत बंजर रह जाता है. करीब सात साल पहले मयुराक्षी बायांतट मुख्य नहर व विभिन्न ग्रामीण नहरों का करीब दो सौ करोड़ रुपये खर्च कर सिंचाई विभाग की देखरेख में कैड( कमांड डेवलपमेंट एरिया) की ओर से नहरों का पक्कीकरण कराया गया है. फिर भी अंतिम छोर के किसानों के खेतों तक नहर का पानी नहीं पहुंच रहा है, जिन शाखा नहरों का पक्कीकरण कराया जाना जरूरी था, उन शाखा नहरों के बदले गांव गांव में सड़क किनारे या नदी किनारे या डंगाल में आरसीसी पक्की सिंचाई नाली निर्माण कराकर बड़ी राशि की बंदरबांट की गयी है. मयुराक्षी बायांतट मुख्य नहर के बेलवुनी के पास से निकाले गये पाटजोड़ शाखा नहर के संग्रामपुर तक किसी तरह नहर का पानी पहुंचता है, उसके आगे तोकीपुर, महेषखाला, राजुडीह, भैरवडीह, पाटजोड़, मेटेलकुंदा, कुलुबांदी आदि गांवों तक पानी नहीं पहुंच रहा है. विस्थापितों व किसानों ने नहर के अंतिम छोर तक पानी पहुंचाने की मांग को लेकर सिंचाई विभाग के उच्चाधिकारियों के अलावा प्रशासनिक उच्चाधिकारियों यहां तक कि राष्ट्रपति से भी आवेदन देकर अनुरोध किया है. तोकीपुर के पास नहर के गर्भ में ऐसी झाड़ी ऊग आयी है. देखने से पता नहीं चलेगा कि यह नहर है. या झाड़ी जंगल है. क्या कहते हैं विस्थापित किसान पाटजोड़ शाखा नहर से निकाल कर विभिन्न गांवों तक पहुंचाये गये नहरों की लंबे समय से रखरखाव नहीं किये जाने तथा नहर में उग आये झाड़ी जंगलों की साफ सफाई नहीं किये जाने से अंतिम छोर तक नहर का पानी नहीं पहुंच रहा है. इसके चलते नहर रहते हुए भी हमलोगों को इसकी लाभ नहीं मिल पा रहा है. विजय टुडू मयुराक्षी बायांतट मुख्य नहर निर्माण के साथ नहर के अंतिम छोर तक पानी पहुंचाया जा रहा था. अविभाजित बिहार के समय भी खेतों तक नहर का पानी पहुंचाया जा रहा था. बाद में नहरों की साफ-सफाई व रख रखाव के अभाव में धीरे-धीरे तोकीपुर व आसपास के खेतों तक नहर का पानी पहुंचना बंद हो गया. सुनीराम टुडू मसानजोर डैम बनने से हमारे पूर्वज विस्थापित हुए हैं, जिन्हें रानीश्वर प्रखंड क्षेत्र के विभिन्न गांवों में बसाया गया था. उस समय डैम से नहर निकाल कर गांव गांव तक नहर बना कर खेतों तक पानी पहुंचाया जा रहा था. पर सिंचाई विभाग की उदासीनता के कारण नहर के अंतिम छोर तक पानी पहुंचना बंद हो गया. भोंडे मरांडी विभिन्न गांवों के अनुपयोगी जगहों पर पक्की सिंचाई नाली निर्माण के बदले यदि शाखा नहरों का पक्कीकरण कराया जाता तो नहर के अंतिम छोर तक पानी पहुंचाया जा सकता था. पर यह देखने वाला कोई नहीं है. यहां का जमीन पथरीली कंकड़ वाला है. जलधारण क्षमता कम है. बारिश के भरोसे खेती करनी पड़ती है. श्यामलाल टुडू नहर में खरीफ खेती के अलावा रबी व गरमा धान की खेती के लिए पानी छोड़ा जाता है. पाटजोड़ शाखा नहर की स्थिति ठीक रहने से हमलोगों को भी साल में दो तीन बार खेती करने का मौका मिलता. अच्छी तरह से खेती नहीं हो पाने के कारण रोजगार की तलाश में इधर-उधर भटकना पड़ता है. सरकार ध्यान दे. देवीसिंह टुडू पाटजोड़ शाखा नहर में ऊगे झाड़ी जंगलों की बरसात के पहले हर साल साफ-सफाई किये जाने से भी खेतों में नहर का पानी पहुंचता. पहले समय समक्ष पर मुख्य नहर के अलावा शाखा नहरों में गाद सफाई व झाड़ी जंगल साफ-सफाई करायी जाती थी. परिपाटी लंबे समय से बंद हो चुका है. विभाग पहल करे. होपना मरांडी हमलोगों मुख्य रूप से खेती पर ही निर्भरशील हैं. सिंचाई के लिए पानी उपलब्ध होने से खरीफ खेती के अलावे रबी तथा गरमा धान की खेती कर अच्छी आमदनी कर सकते हैं. पर खेती के लिए सबसे जरूरी सिंचाई की सुविधा उपलब्ध नहीं हो पा रहा है. मजबूरी में दूसरा काम करना पड़ता है. अच्छी बारिश नहीं होने से खेत बेकार पड़ा रह जाता है. होपनटी हेंब्रम सिंचाई के लिए गांव तक नहर का पानी पहुंचने से अपने खेतों में आसानी से खेती कर सकते हैं. नहर का पानी उपलब्ध होने से साल भर खेत हरा भरा रहेगा. जिससे आमदनी भी बढ़ेगी. साथ ही हम खुशहाल जिंदगी जी सकेंगे. इसके लिए जनप्रतिनिधियों को भी ध्यान देना चाहिए. अंतिम छोर तक पानी पहुंचे. छबि हेंब्रम खेती के लिए थोड़ी बहुत जमीन है. पर जमीन पर खेती करने के लिए सबसे ज्यादा जरूरी सिंचाई की व्यवस्था की है. सुविधा उपलब्ध हो जाने से निश्चिंत होकर खेती की जा सकती है. बारिश पर निर्भर होकर खेती करने से कभी नुकसान भी उठाना पड़ता है. नहर के अंतिम छोर तक पानी पहुंचाने की व्यवस्था हो. लतामुनी मुर्मू नहर के अंतिम छोर तक पानी पहुंचाना सुनिश्चित करने के लिए सरकार के साथ साथ सिंचाई विभाग के अधिकारियों तथा जनप्रतिनिधियों को भी अपने की जरूरत है. सभी के संयुक्त प्रयास से हम किसानों की समस्या का समाधान हो सकता है. अधिकारियों का लगातार क्षेत्र भ्रमण करने का भी जरूरत है. मदन मरांडी

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