पड़ताल. कोराना काल में लगे करोड़ों के ऑक्सीजन प्लांट डेड, वेंटीलेटर भी गोदाम की बढ़ा रहे शोभा

कोरोना काल में करोड़ों रुपये के जो तीन-तीन पीएसए प्लांट उपलब्ध कराये गये थे, उनमें से दो आज के दिन में डेड पड़े हुए हैं. पीजेएमसीएच के वेंटीलेटर भी गोदाम की शोभा बढ़ा रहे हैं.

By RAKESH KUMAR | March 23, 2025 12:08 AM

दुमका. दुमका के फूलो झानो मेडिकल कॉलेज अस्पताल में मरीजों को बेहतर सुविधा देने के उद्देश्य से कोरोना काल में करोड़ों रुपये के जो तीन-तीन पीएसए प्लांट उपलब्ध कराये गये थे, उनमें से दो आज के दिन में डेड पड़े हुए हैं. केवल अभी पीएम केयर्स से उपलब्ध कराया गया ऑक्सीजन प्लांट चल रहा है. इसमें जब किसी तरह की कोई मामूली खराबी आती है, तो पाइपलाइन की जगह सिलिंडर वाले ऑक्सीजन का उपयोग करना पड़ता है. मिली जानकारी के मुताबिक पीएम केयर्स से प्राप्त ऑक्सीजन प्लांट 1000 एलपीएम क्षमता का है. वहीं अदाणी पावर द्वारा उपलब्ध कराया गया ऑक्सीजन प्लांट 250 एलपीएम का है. सरकारी स्तर पर ही उपलब्ध कराया गया एक अन्य ऑक्सीजन प्लांट ग्रीन ग्रेस भी 250 एलपीएम की क्षमता का ही है. अदाणी पावर द्वारा उपलब्ध कराया गया ऑक्सीजन प्लांट जुलाई 2022 से और ग्रीन ग्रेस द्वारा उपलब्ध कराया गया ऑक्सीजन प्लांट मार्च 2023 से डेड बताया जा रहा है. अदाणी पावर द्वारा उपलब्ध ऑक्सीजन प्लांट का उपयोग सिलिंडर रीफिलिंग में होता था. इसके बूस्टर में मामूली खराबी आयी है. पर इसका मेंटेनेंस नहीं हो पा रहा, जबकि ग्रीन ग्रेस ऑक्सीजन प्लांट में भी कुछ तकनीकी खराबी आयी है. नहीं इंस्टाल हो पाया सालभर पहले आया 10000 लीटर क्षमता का लिक्विड ऑक्सीजन प्लांट : फूलाे झानो मेडिकल काॅलेज अस्पताल के सभी बेड पाइपलाइन से ऑक्सीजन की सुविधायुक्त कर दिये गये हैं. यहां ऑक्सीजन प्लांट का अगर उपयोग न हो, तो 25-30 ऑक्सीजन सिलिंडर की खपत होगी. हालांकि इन तीनों पीएसए के अलावा नया लिक्विड ऑक्सीजन प्लांट लगाये जाने की पहल सरकारी स्तर से की गयी थी. इस प्लांट की क्षमता 10 हजार लीटर है. इसके लिए आपूर्तिकर्ता ने सालभर पहले ही टैंक भेज दिया है, पर आज तक इसे इंस्टाल नहीं किया गया है. वजह चाहे जो हो, इसे मंगवाने और अब तक इंस्टाल न करवाने से कई तरह के सवाल खड़े हो रहे हैं, वहीं पहले से उपलब्ध तीन में से दो पीएसए प्लांट की सामान्य रख-रखाव न करा पाना भी अस्पताल प्रबंधन की उदासीनता पर सवाल खड़ा करता है. फूलो झानो मेडिकल कॉलेज अस्पताल के अधीक्षक अजय कुमार चौधरी भी मानते हैं कि अभी तक लिक्विड ऑक्सीजन प्लांट की राशि को अस्पताल को हस्तांतरित नहीं किया गया, जिस कारण आज़ तक यह प्लांट नहीं लगाया जा सका है. कोरोना से पहले नहीं थी हॉस्पीटल में पाइपलाइन से ऑक्सीजन की सुविधा : दरअसल, वर्ष 2020 में जब पहली बार कोरोना महामारी ने पांव पसारा था उस वक्त दुमका के मेडिकल कॉलेज में ऑक्सीजन की पर्याप्त व्यवस्था नहीं थी. जब कोरोना का खौफ बढ़ने लगा तो इधर-उधर से ऑक्सीजन सिलिंडर की व्यवस्था की जाने लगी. उसी वक्त यह महसूस हुआ कि ऑक्सीजन की पर्याप्त व्यवस्था यहां होनी चाहिए. इसके लिए भारत सरकार ने प्रधानमंत्री केयर फंड से पीएसए प्लांट भेजा. ऑक्सीजन कंसंट्रेटर भी पर्याप्त संख्या में उपलब्ध कराये गये. कुछ उपयोग में हैं और कुछ गोदाम की शोभा बढ़ा रहे हैं. गोदाम में उपलब्ध स्टॉक की गिनती बढ़ा रहे लाखों के वेंटिलेटर : फूलो झानो मेडिकल कालेज अस्पताल में कोरोना काल में वेंटिलेटर भी उपलब्ध कराये गये थे. यह संख्या लगभग चालीस की थी. एक-एक वेंटिनलेटर की कीमत दो से तीन लाख रुपये तक की होती है. 30-35 वेंटिलेटर फूलो-झानो मेडिकल कालेज अस्पताल की गोदाम में धूल फांक रहे हैं. ऐसा नहीं है कि ये वेंटिलेटर किसी काम के अब नहीं रह गये हैं. वास्तविकता यह है कि वेंटिलेटर को ऑपरेट करने वाले टेक्निशियन की ही यहां उपलब्धता नहीं है. ऐसे में इसे संबंधित वार्ड से हटा दिया गया है. यही वजह है कि जब गंभीर मरीज अस्पताल पहुंचते हैं, तो फूलो झानो मेडिकल कालेज अस्पताल रेफर कर देने वाला अस्पताल बन जाता है. अस्पताल प्रबंधक सुदीप किस्कू ने बताया कि तकनीशियन न रहने की वजह से वेंटिलेटर का उपयोग नहीं हो पा रहा है. अधिकांश वेंटिलेटर सही स्थिति में हैं.

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