दामिन-ए-कोह में पहाड़िया का हृदय : डॉ स्वर्ण सिंह
मयुराक्षी ग्रामीण काॅलेज रानीश्वर के प्रशाल में दामिन-ए-कोह की आर्थिक संरचना में आदिम जनजाति पहाड़िया समुदाय के योगदान पर इतिहास विभाग की ओर से कार्यशाला हुई.
प्रतिनिधि, रानीश्वर मयुराक्षी ग्रामीण काॅलेज रानीश्वर के प्रशाल में दामिन-ए-कोह की आर्थिक संरचना में आदिम जनजाति पहाड़िया समुदाय के योगदान पर इतिहास विभाग की ओर से कार्यशाला हुई. इसमें प्रभारी प्राचार्य प्रो नव कुमार पाल, हिंदी विभाग के प्रो एंथोनी हांसदा, राजनीति शास्त्र के प्रो आनंद गोपाल घोष व प्रो अफरोज अहमद खान ने व्याख्यान दिया. डॉ स्वर्ण कुमार सिंह ने कहा कि दामिन-ए-कोह में पहाड़िया जनजाति संताल परगना का हृदय है. 1818 में जे सी सदरलैंड जो राजमहल पहाड़ी क्षेत्र के हिल मजिस्ट्रेट था, उनकी रिपोर्ट के आधार पर 1832 -33 में मिस्टर वार्ड की अनुशंसा पर क्षेत्र का गठन हुआ था. जंगली व पहाड़ी यहां की जमीन झारखंड राज्य के अन्य जगहों से अलग है. यहां के भूगोल ने इतिहास को सबसे अधिक प्रभावित किया है. दामिनी क्षेत्र में पाये जाने वाले विभिन्न प्रकार के पेड़-पौधे, फल व पत्ते का उपयोग कर पहाड़िया समुदाय के जीविकोपार्जन करते हैं. मौके पर शिक्षक, कर्मी व छात्र-छात्राएं उपस्थित थे.
डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है
