नवरात्र के सातवें दिन भक्तों ने की मां कालरात्रि की पूजा

माता के भक्त आस्था के सराबोर में डूबे हैं. माता दुर्गा की प्राण-प्रतिष्ठा के साथ ही मंदिरों व पूजा पंडालों में भक्तों की भीड़ लगी रही.

By RAKESH KUMAR | September 29, 2025 11:39 PM

बासुकिनाथ. शारदीय नवरात्र के सातवें दिन जरमुंडी दुर्गा मंदिर में ढोल-नगाड़े के बीच माता बेलबरनी का पूजन किया गया. इसके पूजन के साथ मां दुर्गा के सप्तम स्वरूप माता कालरात्रि की सोमवार को भक्तों ने विधिवत पूजा-अर्चना की. माता के भक्त आस्था के सराबोर में डूबे हैं. माता दुर्गा की प्राण-प्रतिष्ठा के साथ ही मंदिरों व पूजा पंडालों में भक्तों की भीड़ लगी रही. सप्तमी पर पत्रिका प्रवेश की पूजा मंदिर के पुजारियों द्वारा की गयी. महिला श्रद्धालुओं ने बेलभरनी माता की विधिवत पूजा-अर्चना की. संध्या बेला माता दुर्गा के भव्य रूप को पारंपरिक भोग लगाकर भक्तों के बीच वितरण किया गया. पंडित सुधाकर झा ने बताया कि तांत्रिक क्रिया की साधना करने वाले के लिए नवरात्र का सातवां दिन महत्वपूर्ण है. तंत्र साधना करने वाले मध्य रात्रि में तांत्रिक विधि से पूजा करते हैं. सप्तमी को मां की आंखें खुलती हैं. पंडालों में जहां मूर्ति लगाकर माता की पूजा की गयी, सप्तमी तिथि के दिन पंडितों ने विधिवत माता को नेत्र प्रदान किए. मां का नाम लेने मात्र से भूत, प्रेत, राक्षस, दानव समेत सभी पैशाचिक शक्तियां भाग जाती है. इस दिन पूजा करने से साधक का मन सहस्रार चक्र में स्थित होता है. सप्तमी को नैहर आती है माता : श्याम झा मंदिर पुजारी पंडित श्याम झा ने बताया कि मां दुर्गा सप्तमी को अपने बच्चों के साथ छह दिनों की यात्रा पूरी कर कैलाश में से धरती पर उतरती है. एक केले के तने में कपड़े लपेटकर उसे कलाबाई की शक्ल दी जाती है. षष्ठी को बेलभरनी माता को निमंत्रण देकर सप्तमी को माता को नैहर लाया जाता है. फिर माता नवमी तक अपने मायके में रहती है. विजयादशमी के दिन मूर्ति विसर्जन के साथ लौट जाती है.

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