जमीन बचाने की लड़ाई को तेज करने का किया आह्वान
किसान सभा की संताल परगना स्तरीय भूमि अधिकार कन्वेंशन आयोजित
काॅरपोरेट की नजर झारखंड की खनिज संपदा पर : महासचिव दुमका नगर. संताल परगना में जमीन बचाने को लेकर आंदोलन तेज करने के आह्वान के साथ प्रमंडलस्तरीय भूमि अधिकार कन्वेंशन दुमका के लोमाई भवन में शुक्रवार को सफलतापूर्वक सम्पन्न हो गया. आदिवासी अधिकार मंच के कार्यकारी अध्यक्ष सुभाष हेंब्रम ने झंडोत्तोलन के साथ कन्वेंशन की शुरुआत की. राज्य किसान सभा के महासचिव सुरजीत सिन्हा ने अपने प्रतिवेदन में संताल परगना के भूमि आंदोलन की इतिहास का वर्णन करते हुए बताया कि काॅरपोरेट की नजर झारखंड की खनिज की पर है. वनों में रहने वाले को वन पट्टा नहीं दिया गया. संयुक्त किसान सभा के नेता व कन्वेंशन के मुख्य वक्ता पी कृष्णा प्रसाद बताया कि आज खनिज की लूट के लिए, कारपोरेट की मुनाफा के लिए जमीन से आदिवासियों, दलितों, रैयतों को बेदखल किया जा रहा है. राज्य वासियों को खनिजों से लाभ नहीं मिल रहा है. केंद्र सरकार राज्य सरकार को भी खनिजों के हिस्से से वंचित कर रही है. इसके अलावा किसानों को फसल का न्यूनतम समर्थन मूल्य भी नहीं मिल रहा है. किसानों को 50% की दर से फसल के दाम के लिए संघर्ष करने की जरूरत है. वनों में रहनेवाले को भी वन पट्टा नहीं दिया जा रहा है. उन्होंने हर गांव में किसान सभा और किसान सभा में हर किसान का नारा देते हुए हर जिला में भूमि कन्वेंशन आयोजित करते हुए जमीन बचाने की लड़ाई को तेज करने का आह्वान किया. इसके लिए गांव-गांव में बैठक करने की जरूरत है. इसके अलावा प्रतिवेदन पर दुमका से सनातन देहरी, देवी सिंह पहाड़िया, गोड्डा से रघुवीर मंडल, जामताड़ा से लखी मुर्मू,चंडीदास पुरी, साहिबगंज से सैफुद्दीन व सरीफुल, पाकुड़ से श्यामसुंदर पोद्दार व मो फैसल आदि ने अपनी बातों को रखा. प्रतिवेदन का समर्थन किया. किसान सभा के राज्य नेता एहतेशाम अहमद ने समापन भाषण देते हुए कहा कि अपनी खेती को बचाने की जरूरत है. एसपीटी एक्ट में आदिवासी को जमीन का अधिकार मिला था. हूल क्रांति से ही एसटी कानून बना, पर आज पुनः जमीन पर खतरा मंडरा रहा है. पलायन के लिए आदिवासी मजबूर हो रहे हैं. इसलिए लड़ाई को तेज करने के लिए 26 नवंबर को प्रत्येक जिले में व्यापक गोलबंदी का आह्वान किया. सुफल महतो ने धन्यवाद ज्ञापन किया.
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