Dhanbad News: सात साल बाद भी अंडरग्राउंड केबलिंग का काम अधूरा
Dhanbad News: शहर के मुहल्लों व चौक-चौराहों पर लटके तार हादसे को दे रहे आमंत्रण
Dhanbad News: शहर के मुहल्लों व चौक-चौराहों पर लटके तार हादसे को दे रहे आमंत्रण Dhanbad News: सात साल पहले धनबाद को जीरो पावर कट सिटी बनाने के उद्देश्य से शुरू की गयी अंडरग्राउंड बिजली केबलिंग की योजना आज भी अधूरी पड़ी है. लगभग 200 करोड़ रुपये की लागत से वर्ष 2018 में शुरू हुई इस महत्वाकांक्षी योजना से उम्मीद थी कि शहर को ओवरहेड तारों की झंझट से मुक्ति मिलेगी. निर्बाधि बिजली मिलेगी और शहर की सुंदरता बढ़ेगी. लेकिन वर्ष 2025 तक शहर में केवल 50 प्रतिशत हिस्से में ही केबलिंग का काम पूरा हो पाया है.
हीरापुर, सरायढेला क्षेत्र में अधूरा पड़ा है काम
धनबाद शहरी क्षेत्र के तीन सब डिवीजन हीरापुर, सरायढेला और नया बाजार में एक साथ अंडरग्राउंड केबलिंग का काम शुरू किया गया था. हीरापुर व सरायढेला सब डिवीजन में लगभग 70 प्रतिशत कार्य पूरा हुआ है. इन इलाकों में कई मुख्य सड़कों और आवासीय क्षेत्रों में केबलिंग का फायदा लोगों को मिलने लगा है. वहीं नया बाजार सब डिवीजन में स्थिति खराब है. यहां अब तक सिर्फ 40 प्रतिशत केबलिंग का काम हो पाया है. भूली से मनईटांड़ को जोड़ने वाली 33 केवीए अंडरग्राउंड लाइन भी अधूरी है. इससे पावर ट्रांसमिशन नेटवर्क पूरा नहीं हो पा रहा है. इसके अलावा करकेंद सब डिवीजन में लगभग 40 प्रतिशत केबलिंग का काम हो पाया है.
जगह की कमी और संकरी गलिया बनीं बाधा
झारखंड बिजली वितरण निगम लिमिटेड (जेबीवीएनएल) के अधिकारियों के अनुसार केबल बिछाने के लिए पर्याप्त कॉरिडोर नहीं होना इस योजना की सबसे बड़ी बाधा है. शहर के पुराने हिस्सों में सकरी गलियों और अनियोजित सड़कों के कारण मशीन और केबल रील ले जाना कठिन हो जाता है. इन क्षेत्रों में मजबूरी में ओवरहेड बंच केबल लगाने का कार्य शुरू किया गया है, ताकि तारों के उलझाव और शॉर्ट सर्किट की घटनाओं को रोका जा सके.
बार-बार क्षतिग्रस्त हो रहे केबल, मरम्मत में होती है परेशानी
शहर में सड़क, नाली और पाइप लाइन निर्माण के दौरान बार-बार यूजी केबल क्षतिग्रस्त हो रहे हैं. जेबीवीएनएल अधिकारियों का कहना है कि समन्वय की कमी सबसे बड़ी चुनौती है. कई बार सड़क निर्माण एजेंसी बिना सूचना के सड़क की खुदाई कर देते हैं. इससे केबल कट जाते हैं और बिजली आपूर्ति ठप हो जाती है. केबल क्षतिग्रस्त होने पर उसका लोकेशन ट्रेस करने और मरम्मत में घंटों लग जाते हैं. इससे प्रभावित इलाकों में बिजली बहाल करने में विलंब होता है.समन्वय की कमी और ठेकेदार बदलने से धीमी हुई रफ्तार
जानकारी के अनुसार पिछले सात वर्षों में एजेंसी द्वारा कई बार ठेकेदार को बदला जा चका है. पहली कंपनी समय पर काम नहीं कर सकी. इसके बाद दूसरी कंपनी को भुगतान में विलंब और विवादों के कारण काम रोकना पड़ा. इसी तरह विभिन्न कारणों से कुछ एजेंसी ने काम बीच में छोड़ दिया. वर्तमान में नयी एजेंसी को यूजी केबलिंग की जिम्मेवारी सौंपी गयी है. कई इलाकों में खुदाई कर केबल बिछाया गया है पर कनेक्शन जोड़ने और पुराने ओवरहेड नेटवर्क को हटाने का काम अधूरा है.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है
