Dhanbad News: खरना का प्रसाद ग्रहण करने के साथ व्रतियों का निर्जला उपवास शुरू
खरना का प्रसाद ग्रहण करने के साथ ही रविवार से छठ व्रतियों का 36 घंटे का निर्जला उपवास शुरू हो गया.
छठी मइया के गीतों से वातावरण हुआ भक्तिमय
धनबाद.
खरना का प्रसाद ग्रहण करने के साथ ही रविवार से छठ व्रतियों का 36 घंटे का निर्जला उपवास शुरू हो गया. महापर्व छठ को लेकर गली-मुहल्लों में सुबह से ही चहल पहल शुरू हो गयी थी. शाम होने के पहले व्रतियों ने स्नान-ध्यान कर नेम निष्ठा से खरना का प्रसाद खीर, रसिया, पूरी बनायी. छठी मइया को केले के पत्ते पर खीर-रोटी, केला अर्पित किया गया. वहीं जिन व्रतियों की मन्नत थी उन्होंने ढकना में खीर चढ़ाया. छठी मइया का आवाहन कर पूजा अर्चना की और छठी मइया के गीत गाये. व्रतियों द्वारा खरना का प्रसाद ग्रहण करने के बाद परिजनों व अन्य लोगों के बीच प्रसाद वितरित किया गया.आटा चक्की, फलाें की दुकान पर लगी भीड़
सोमवार की सुबह आटा चक्कियों पर भीड़ लगी रही. सूप पर चढ़ाने के लिए ठेकुआ और कचवनिया बनाने के लिए व्रतियों के परिजन आटा चक्की पर गेहूं व चावल पिसवाने पहुंचे. आटा चक्की पर भी नियम पूर्वक पहले से तैयार किया गया आटा 40 से 42 रुपये प्रति किलो बिका.
घरों व अपार्टमेंट की छत पर सज रहा आस्था का घाट
व्रतियों के घरों व अपार्टमेंट की छतों पर भी आस्था का घाट सजाया जा रहा है. तालाब में गंदगी को देखते हुए कई व्रतियों ने घर में ही आस्था का घाट सजवाया है. तोरण बनाया गया है. छठी मइया के गीत बजाये जा रहे हैं. ऐसा लग रहा है मइया का घाट छत पर उतर आया हो. पूरा वातावरण छठमय हो गया.
अस्ताचलगामी भगवान भास्कर को अर्घ आज
अस्ताचलगामी भगवान भास्कर को सोमवार को अर्घ अर्पित किया जायेगा. इसे लेकर सुबह से ही प्रसाद के लिए ठेकुआ, कचवनिया बनने लगेगा. समय से सूप सजाकर उसमें ठेकुआ, फल, दीपक रखकर डाला तैयार किया जायेगा. जिसे लेकर सभी घाट के लिए निकलेंगे. घाट पर भास्कर देव की आराधना कर व्रती डूबकी लगाने के बाद सूप उठाकर फेरे लेंगे. इसके बाद अर्घ अर्पित किया जायेगा.28 को होगा पर्व का समापन
लोक आस्था का महापर्व छठ 28 अक्तूबर को पारण के साथ संपन्न होगा. इससे पहले अल सुबह से ही लोग छठ घाट पहुंचेंगे. व्रती जल में उतरकर भास्कर देव से दर्शन देने के लिए विनती करेंगी. लालिमा छाते ही हाथ जोड़कर डूबकी लगाने के बाद सूप उठाएंगी. परिक्रमा कर अर्घ अर्पित करेंगे. उसके बाद हवन किया जायेगा. घाट की पूजा कर भूल चूक की माफी मांगी जायेगी. सुहागिनों की मांग भरकर उनके आंचल में व्रती प्रसाद देंगी. उसके बाद शरबत पीकर व्रति उपवास खोलेंगी.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है
