Dhanbad News : एसएनएमएमसीएच में अव्यवस्था का हाल-एक काउंटर से किया इनकार, दूसरे से मिल गयी सभी दवा

मरीजों की मजबूरी व सिस्टम की मनमानी, . दवा स्टॉक में होने क बाद भी नहीं दे रहे हैं कर्मी

By NARENDRA KUMAR SINGH | June 10, 2025 2:08 AM

जरूरतमंद मरीजों को राहत देने के उद्देश्य से शहीद निर्मल महतो मेडिकल कॉलेज अस्पताल (एसएनएमएमसीएच) के ओपीडी में स्थापित नि:शुल्क औषधि वितरण केंद्र कर्मियों की मनमानी से अपने उद्देश्यों से कोसों दूर है. कई बार स्टॉक में दवा होने के बावजूद मरीजों को इधर-उधर भटकना पड़ रहा है. केंद्र के काउंटर पर कर्मी दवा नहीं होने का हवाला देकर मरीजों को बाहर की दुकानों में भेज देते हैं. इससे जरूरतमंद मरीजों की जेब पर बोझ पड़ता है. सोमवार को प्रभात खबर की टीम अस्पताल के ओपीडी में पहुंची तो एक मरीज को एक काउंटर से दवा नहीं दी गयी, जबकि दूसरे काउंटर पर उसी पर्ची की सभी दवाएं मरीज को मिल गयीं. पढ़ें शोभित रंजन की आंखों देखी रिपोर्ट.

पुरुष काउंटर से मना किया गया, महिला काउंटर पर मिल गयी दवा :

ओपीडी परिसर में मौजूद नि:शुल्क औषधि वितरण केंद्र के पुरुष काउंटर पर एक मरीज अपनी पर्ची लेकर दवा लेने पहुंचा. काउंटर मौजूद कर्मी ने पर्ची लेकर कहा कि यहां दवा उपलब्ध नहीं है. बाहर की दुकान से दवा लेने की सलाह दी गयी. इसके बाद उक्त मरीज अस्पताल परिसर के अंदर स्थित दो जेनरिक मेडिकल दुकानों पर गया, तो दुकानदार को मरीज की गरीबी पर तरस आ गया. उसने बताया कि यह दवा सरकारी स्टॉक की है. ओपीडी में मिलती है. आर्थिक तंगी से परेशान मरीज ने एक बार पुन: नि:शुल्क औषधि वितरण केंद्र से दवा लेने का साहस जुटाया. लेकिन इस बार वह पर्ची लेकर उसी काउंटर से सटे खाली महिला काउंटर पर गया. वहां पर मौजूद कर्मी ने बिना किसी हिचकिचाहट के सभी दवाएं दे दी गयी.

विवशता में मरीजों को खर्च करने पड़ रहे हैं पैसा :

सरकारी दवाएं मुफ्त में मिलने की योजना के बावजूद गरीब व जरूरतमंद मरीजों को अपनी जेब से दवाएं खरीदनी पड़ रही हैं. कई बार मरीजों के पास पैसे नहीं होते, फिर भी वे कर्ज लेकर दवा खरीदते हैं या इलाज टाल देते हैं.

उठ रहे सवाल : सरकारी दवा होते हुए भी मरीजों को क्यों भेजा जा रहा है बाहर

इस पूरे प्रकरण से कई सवाल उठ रहे हैं. सरकारी दवा होते हुए भी मरीजों को बाहर भेजे जाने से संदेह उत्पन्न होता है कि कहीं मुफ्त दवा वितरण व्यवस्था में भ्रष्टाचार तो नहीं पनप रहा. अगर सरकारी स्टॉक में दवाएं हैं, फिर भी मरीजों को जानबूझकर बाहर भेजा जा रहा है, तो यह न केवल व्यवस्था की विफलता है, बल्कि मानवता के साथ भी अन्याय है. अस्पताल प्रबंधन को इस मामले की गंभीरता से जांच कर जिम्मेदार कर्मचारियों पर कार्रवाई करनी चाहिए. साथ ही यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि मुफ्त दवा योजना का लाभ सभी मरीजों को मिले.

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