Dhanbad News: झरिया पुनर्वास की गुणवत्ता पर नजर रखेगा आइआइटी आइएसएम
जेआरडीए व आइआइटी आइएसएम के बीच हुआ एमओयू, सभी निर्माण कार्यों का होगा थर्ड पार्टी एसेसमेंट
धनबाद.
झरिया कोलफील्ड क्षेत्र में भूमिगत आग से प्रभावित परिवारों के पुनर्वास कार्य की गुणवत्ता की अब और कड़ी निगरानी होगी. इसके लिए झरिया पुनर्वास एवं विकास प्राधिकरण (जेआरडीए) ने आइआइटी आइएसएम के साथ एमओयू किया है. इसके तहत झरिया पुनर्वास परियोजना से जुड़े सभी नये-पुराने निर्माण कार्यों का थर्ड पार्टी एसेसमेंट अब आइआइटी आइएसएम करेगा.किसी भी बड़े निर्माण प्रोजेक्ट की गुणवत्ता का मूल्यांकन कर सकता है आइआइटी धनबाद
आइआइटी आइएसएम के उपनिदेशक प्रो. धीरज कुमार ने बताया कि संस्थान इस जिम्मेदारी को निभाने के लिए पूरी तरह तैयार है. उनके अनुसार संस्थान के पास ऐसी सभी तकनीकी सुविधाएं और विशेषज्ञताएं हैं, जो किसी भी बड़े निर्माण प्रोजेक्ट की गुणवत्ता का सटीक मूल्यांकन कर सकती हैं. अब आइआइटी आइएसएम न केवल नए निर्माण कार्य बल्कि पुराने भवनों व अन्य आधारभूत ढांचों की मरम्मत एवं मजबूती की जांच भी करेगा.40 हजार करोड़ की लागत से बनेगा झरिया का नया स्मार्ट सिटी
जेआरडीए के नये मास्टर प्लान के तहत झरिया विस्थापितों के लिए एक आधुनिक स्मार्ट सिटी तैयार की जा रही है. इस परियोजना पर लगभग 40 हजार करोड़ रुपये खर्च होने का अनुमान है. इस स्मार्ट सिटी में विस्थापितों के आवासों के साथ ही सड़कों के पुनर्निर्माण, स्कूल व अस्पतालों का निर्माण, स्वच्छ पेयजल, जल निकासी प्रणाली, मार्केट कॉम्प्लेक्स और बिजली आपूर्ति की उन्नत व्यवस्था जैसे काम शामिल हैं. इसमें विस्थापितों के लिए आवासीय भवन भी तैयार किये गये.2004 से जारी है पुनर्वास की चुनौती
झरिया मास्टर प्लान वर्ष 2004 में तैयार किया गया था, जिसके तहत जेआरडीए का गठन हुआ. इस योजना का उद्देश्य झरिया कोलफील्ड में भूमिगत आग से प्रभावित करीब एक लाख परिवारों का पुनर्वास करना था. पहले चरण में 2021 तक सभी परिवारों को बसाने का लक्ष्य था, लेकिन अब तक सिर्फ करीब सात हजार परिवारों का ही पुनर्वास हो पाया है.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है
