Dhanbad News : सांस्कृतिक गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिए धनबाद में होगा ””अखरा”” का निर्माण

भूमि के लिए जिला खेल सह कला सांस्कृतिक नोडल पदाधिकारी ने अपर समाहर्ता को लिखा पत्र

By NARENDRA KUMAR SINGH | April 27, 2025 1:47 AM

धनबाद जिले में पारंपरिक सांस्कृतिक गतिविधियों को बढ़ावा देने के उद्देश्य से “अखरा ” निर्माण की योजना को पूरा करने की दिशा में प्रयास तेज हो गये हैं. इस संबंध में जिला खेल सह सांस्कृतिक नोडल पदाधिकारी उमेश लोहरा ने अपर समाहर्ता को एक पत्र लिखकर लगभग एक एकड़ भूमि के चयन व प्रतिवेदन शीघ्र उपलब्ध कराने का आग्रह किया गया है. नोडल पदाधिकारी श्री लोहरा ने बताया कि झारखंड सरकार के निर्देशों के अनुसार राज्य के सभी जिलों में “अखरा ” का निर्माण प्रस्तावित है. इसके लिए भूमि चयन कर संबंधित प्रतिवेदन विभाग व निदेशालय को भेजना है. भूमि के चयन के साथ-साथ स्थानीय कलाकारों से राय लेकर अखरा स्थल की उपयोगिता व श्रेणी निर्धारण का भी प्रतिवेदन निदेशालय को देना है.

निदेशालय ने तैयार किया है मॉडल :

राज्य के पर्यटन, कला संस्कृति, खेलकूद व युवा कार्य विभाग द्वारा धनबाद सहित राज्य के विभिन्न जिलों में “अखरा ” निर्माण के लिए मॉडल प्राक्कलन झारखंड राज्य भवन निर्माण निगम लिमिटेड, रांची के माध्यम से तैयार कराया गया है. इसके आलोक में विभाग ने पहले भी जिले को पत्र जारी कर चेकलिस्ट के अनुरूप भूमि चयन व कंडिकावार प्रतिवेदन भेजने का निर्देश दिया था. 22 अगस्त 2024 को विभागीय सचिव की अध्यक्षता में रांची में आयोजित समीक्षा बैठक में भी इस दिशा में त्वरित कार्रवाई के निर्देश दिए गए थे. बावजूद इसके, अब तक अधिकांश जिलों से न तो भूमि का चयन हुआ है और न ही उपयोगिता व श्रेणी निर्धारण का प्रस्ताव भेजा गया है. इससे योजना के क्रियान्वयन में विलंब हो रहा है.

अखरा निर्माण से स्थानीय कलाकारों को होगा फायदा :

धनबाद में प्रस्तावित अखरा निर्माण से सबसे बड़ा फायदा स्थानीय कलाकारों व पारंपरिक सांस्कृतिक समूहों को मिलेगा. अखरा मूल रूप से एक ऐसा स्थान होता है, जहां ग्रामीण क्षेत्रों में पारंपरिक नृत्य, गायन, नाटक और सांस्कृतिक प्रस्तुतियों का अभ्यास और आयोजन किया जाता है. अब जब सरकार द्वारा संस्थागत स्तर पर अखरा बनाये जा रहे हैं, तो यह स्थानीय सांस्कृतिक धरोहर को संरक्षित और बढ़ावा देने में मदद करेगा.

अखरा की मुख्य विशेषताएं :

अखरा में स्थानीय कलाकारों द्वारा पारंपरिक नृत्य जैसे करमा, सरहुल, जानी नृत्य आदि का अभ्यास किया जाएगा. इसके साथ बच्चे, युवा व बड़े-बुजुर्गों से लोककला और परंपरागत संस्कार सीख पायेंगे. अखरा में ग्रामीण व स्थानीय लोगों के एकता और सामाजिक सौहार्द को बढ़ावा मिलेगा. इसमें लोग अपने त्योहारों व सांस्कृतिक उत्सवों, मेलों और अनुष्ठानों का आयोजन कर सकेंगे.

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