कोल इंडिया की 3% हिस्सेदारी की बिक्री होगी, खजाने में आयेंगे 5000 करोड़

नयी दिल्ली/ धनबाद : सरकार कोल इंडिया के स्थापना दिवस के एक दिन पूर्व 31 अक्तूबर को तीन प्रतिशत शेयर बिक्री पेशकश (ओएफएस) के जरिये बाजार में उतारेगी. इसके लिए न्यूनतम 266 रुपये प्रति शेयर का मूल्य तय किया गया है. उम्मीद है कि इस निर्गम से सरकारी खजाने को कम से कम पांच हजार […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | October 31, 2018 6:41 AM
नयी दिल्ली/ धनबाद : सरकार कोल इंडिया के स्थापना दिवस के एक दिन पूर्व 31 अक्तूबर को तीन प्रतिशत शेयर बिक्री पेशकश (ओएफएस) के जरिये बाजार में उतारेगी. इसके लिए न्यूनतम 266 रुपये प्रति शेयर का मूल्य तय किया गया है. उम्मीद है कि इस निर्गम से सरकारी खजाने को कम से कम पांच हजार करोड़ रुपये तक मिल सकते हैं.
सूत्रों ने इसकी जानकारी दी. सूत्रों ने बताया कि पेशकश से ज्यादा शेयरों के लिए आवेदन मिलने पर छह प्रतिशत शेयर और बेचे जा सकते हैं. संस्थागत निवेशकों को इसके लिए बुधवार को और खुदरा निवेशकों के लिए गुरुवार को बोली लगाने का मौका मिलेगा. ऐसे खुदरा निवेशकों को आवंटन मूल्य में पांच प्रतिशत की अतिरिक्त छूट मिलेगी. यदि सरकार ने पूरी नौ प्रतिशत हिस्सेदारी बेची तो करीब 15 हजार करोड़ रुपये मिलेंगे.
सीटू ने किया विरोध : आल इंडिया कोल वर्कर्स फेडरेशन (सीटू) के महासचिव डीडी रामानंदन ने सरकार के इस फैसले का विरोध करते हुए कार्यकर्ताओं से सरकार का पुतला दहन करने, विरोध करने का आह्वान किया है.
उन्होंने कहा कि मोदी सरकार कोल इंडिया को अडानी और अंबानी को देना चाहती है. अगर कोल इंडिया को निजी हाथों में जाने से बचाना है तो कोयला मजदूरों को इस सरकार को उखाड़ फेंकना होगा. सरकार की इन्हीं सब नीतियों के खिलाफ दस केंद्रीय मजदूर संगठनों ने 8-9 जनवरी को देशव्यापी हड़ताल की घोषणा की है.
करीब 4% कम है फ्लोर प्राइस
एनएसइ पर मंगलवार को बंद हुए कोल इंडिया के शेयर प्राइस से स्टेक सेल के लिए तय फ्लोर प्राइस करीब 4 फीसदी या 11 रुपये प्रति शेयर डिस्काउंट पर है. एनएसइ पर कोल इंडिया के शेयर मंगलवार को 3.62 फीसदी गिरकर 277 रुपये पर बंद हुए.
दो बार पहले भी बिके हैं शेयर
कोल इंडिया से सरकार ने अपनी हिस्सेदारी बेचने की शुरुआत 2010 में की थी. 10 प्रतिशत हिस्सेदारी बेची गयी थी. तब यूनियनों ने जोरदार विरोध किया था. तत्कालीन वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी ने यूनियनों को आश्वासन दिया कि इसके बाद हिस्सेदारी नहीं बेची जाएगी. साल 2015 के जनवरी में भी मोदी सरकार ने 10 प्रतिशत शेयर बेचा था.
उस दौरान सरकार ने शेयर बेचकर करीब 23 हजार करोड़ रुपये जुटाये थे. 20 प्रतिशत शेयर बेचने के बाद सरकार की हिस्सेदारी 78.32 प्रतिशत रह गयी. अब अगर 9 प्रतिशत की बिक्री हो गयी तो सरकार की हिस्सेदारी 69 प्रतिशत रह जायेगी.