कमोड नहीं होने के कारण दादा को ले जाया गया समर्थक के घर
धनबाद: समरेश सिंह को उठने-बैठने में परेशानी होती है. शौैच के लिए कमोड की जरूरत होती है. लेकिन अस्पताल में कमोड की व्यवस्था नहीं थी. समर्थकों ने बताया कि दादा को बगल में ही एक समर्थक के घर शौच के लिए ले जाया गया था. इस दौरान दादा ने नहाने की इच्छा जतायी, तो उन्हें […]
धनबाद: समरेश सिंह को उठने-बैठने में परेशानी होती है. शौैच के लिए कमोड की जरूरत होती है. लेकिन अस्पताल में कमोड की व्यवस्था नहीं थी. समर्थकों ने बताया कि दादा को बगल में ही एक समर्थक के घर शौच के लिए ले जाया गया था. इस दौरान दादा ने नहाने की इच्छा जतायी, तो उन्हें नहा दिया गया. फिर उन्हें भूख लगी तो रोटी व आलू-फूलगोभी की सब्जी दी गयी. यहां पर दादा ने खाया खाया. दूसरी ओर घटना के बाबत अफवाह उड़ी कि दादा अस्पताल से फरार हो गये हैं. इसके बाद दादा को अस्पताल लाया गया. ड्यूटी पर तैनात हवलदार राम मोहन साहू ने कहा कि हमें चालान काटकर पीएमसीएच में ड्यूटी के लिए भेज दिया गया था. हमारे इंचार्ज नहीं हैं, इस कारण उन्हें बाहर जाने की सूचना नहीं दे पाये.
बेड की जगह कुर्सी पर बैठे रहे
सर्जिकल आइसीयू में दादा बेड की जगह कुर्सी पर बैठे रहे. इस दौरान उनसे कभी पुलिस पदाधिकारी तो कभी चिकित्सक जानकारी लेते रहे. लगभग दो-तीन घंटे दादा कुर्सी पर ही बैठे रहे. चिकित्सकों ने एक्स रे सहित कुछ जांच लिखी है.
पुलिसकर्मियों की लापरवाही उजागर
एसएसपी मनोज रतन चोथे ने मामले में उनकी सुरक्षा में तैनात पुलिसकर्मियों की लापरवाही मानी है. पुलिसकर्मियों को अपने सीनियर अफसरों को फोन कर पूर्व मंत्री को अस्पताल से बाहर ले जाने की जानकारी देनी चाहिए थी. एसएसपी ने प्रभारी सार्जेंट मेजर ओम प्रकाश दास की रिपोर्ट पर पुलिसकर्मियों के खिलाफ कार्रवाई की है. एसएसपी के निर्देश पर प्रभारी सार्जेंट मेजर ओम प्रकाश दास ने पीएमसीएच जाकर मामले की जांच की. सार्जेंट की जांच में यह बात सामने आयी है कि पुलिसकर्मी समरेश को लेकर निजी आवास गये थे. घंटों वहां थे. पूछताछ करने पर पांचों पुलिसकर्मी ने सही जानकारी नहीं दी. सीनियर अफसर को गुमराह किया. पुलिसकर्मी कहते रहे कि वह बगल में कमोड वाले शौचालय ले गये थे. पुलिस लाइन से पूर्व मंत्री की सुरक्षा में एक-पांच का नया बल तैनात कर दिया गया है.
उल्लेखनीय है कि पूर्व मंत्री न्यायिक हिरासत में हैं. जेल से उन्हें पीएमसीएच भेजा गया था. नियमानुसार न्यायिक हिरासत में कैदी का बाहर जाना गैर कानूनी है.