Shravani Mela: आखिर क्यों हर कांवरिया भैरव मंदिर में टेकता है माथा, बिना दर्शन कांवर यात्रा अधूरी!

Shravani Mela: बाबा बैद्यनाथ मंदिर के साथ ही परिसर में स्थित महाकाल भैरव का मंदिर भी श्रद्धालुओं की विशेष आस्था का केंद्र है. बाबा भोलेनाथ व माता पार्वती पर जलार्पण के बाद अधिकांश कांवरिये भैरव मंदिर जाना नहीं भूलते. जानिए क्या है भैरव मंदिर से जुडी धार्मिक मान्यता.

By Dipali Kumari | July 18, 2025 10:03 AM

Shravani Mela: श्रावणी मेले में रोजाना लाखों की संख्या में श्रद्धालु जलार्पण करने बाबा धाम पहुंच रहे हैं. बाबा बैद्यनाथ मंदिर के साथ ही परिसर में स्थित महाकाल भैरव का मंदिर भी श्रद्धालुओं की विशेष आस्था का केंद्र है. यह मंदिर बाबा भोलेनाथ के गर्भगृह के ठीक बगल में दक्षिण दिशा में स्थित है. मान्यता है कि कांवर यात्रा के दौरान महाकाल भैरव अदृश्य रूप में हर भक्त के साथ रहते हैं और उन्हें हर संकट से बचाते हैं. यही कारण है कि बाबा भोलेनाथ व माता पार्वती पर जलार्पण के बाद अधिकांश कांवरिये भैरव मंदिर जाना नहीं भूलते.

कांवरिये क्यों कहते हैं ‘भैरो बम’?

कांवरिये भैरव मंदिर में जलार्पण कर महाकाल भैरव के चरणों में बैठकर यात्रा की सफलता के लिए मन्नत मांगते हैं. महाकाल भैरव का वाहन कुत्ता माना गया है. इसलिए कांवरिये यात्रा के दौरान रास्ते में कुत्तों को देखकर भैरो बम कहकर पुकारते हैं. यह परंपरा भी आस्था से जुड़ी हुई है, जो पीढ़ियों से चली आ रही है.

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सभी ज्योतिर्लिंग में सबसे पहले भैरव का स्थान

कहा जाता है कि महाकाल भैरव की कृपा से ही कठिन से कठिन यात्रा भी सहज हो जाती है. बाबा मंदिर इस्टेट के पुरोहित श्रीनाथ पंडित बताते हैं कि सभी ज्योतिर्लिंग में सबसे पहले भैरव का स्थान होता है. भैरव भगवान शिव के ही रक्षक स्वरूप हैं, जो अपने भक्तों की हर संकट से रक्षा करते हैं. यही कारण है कि बाबा नगरी आने वाले श्रद्धालु भैरव मंदिर जाना नहीं भूलते.

कल 1.35 कांवरियों ने किया जलार्पण

गुरुवार को बाबा मंदिर का पट खुलने के बाद सुबह 4:15 बजे से कांवरियों के लिए जलार्पण प्रारंभ कर दिया गया. पट खुलने से पहले बीएड कॉलेज तक कांवरियों की कतार पहुंच गयी थी. वहीं दोपहर 3 बजे के बाद से यह कतार जलसार चिल्ड्रेन पार्क तक सिमट गयी. 7 बजे तक मुख्य एवं बाह्य अरघा से कुल 1,35,561 कांवरियों ने जलार्पण किये. इनमें मुख्य अरघा से 98685 व बाह्य अरघा से 31843 कांवरिये शामिल हैं. वहीं 5033 कांवरियों ने शीघ्रदर्शनम कूपन लेकर पूजा की.

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