नगरीय समूहों की पहचान केवल वर्तमान शहरी विस्तार के आधार पर होगी
भारत के महारजिस्ट्रार एवं जनगणना आयुक्त के कार्यालय ने जनगणना-2027 के तहत नगरीय समूहों (अर्बन एग्लोमरेशन) के गठन को लेकर विस्तृत और स्पष्ट दिशा-निर्देश जारी किये हैं.
संजीव मिश्रा, देवघर. भारत के महारजिस्ट्रार एवं जनगणना आयुक्त के कार्यालय ने जनगणना-2027 के तहत नगरीय समूहों (अर्बन एग्लोमरेशन) के गठन को लेकर विस्तृत और स्पष्ट दिशा-निर्देश जारी किये हैं. जारी परिपत्र में स्पष्ट किया गया है कि नगरीय समूहों की पहचान केवल वर्तमान शहरी विस्तार के आधार पर की जायेगी, न कि भविष्य की संभावनाओं को ध्यान में रखकर. इस निर्देश का उद्देश्य राज्यों और संघ राज्य क्षेत्रों में नगरीकरण के आंकड़ों में एकरूपता और पारदर्शिता सुनिश्चित करना है. पत्र के अनुसार, जनगणना-2027 के लिए नगरीय समूहों की संकल्पना वही रहेगी, जो जनगणना-2011 में अपनायी गयी थी. अर्थात, किसी भी नगरीय समूह में कम-से-कम एक सांविधिक नगर का होना अनिवार्य होगा तथा उसमें शामिल सभी घटकों की कुल जनसंख्या 2011 के आंकड़ों के अनुसार 20 हजार से कम नहीं होनी चाहिए. किसी नगर से सटे बाह्य विकास क्षेत्र (आउटग्रोथ) अथवा दो या दो से अधिक परस्पर सटे नगर मिलकर नगरीय समूह का गठन कर सकते हैं. केंद्र सरकार ने यह भी स्पष्ट किया है कि नगर सीमा से बाहर, लेकिन उससे सटे गांवों में स्थित रेलवे कॉलोनियां, विश्वविद्यालय परिसर, सैन्य शिविर, बंदरगाह क्षेत्र जैसी इकाइयों को, यदि वहां शहरी सुविधाएं उपलब्ध हों, तो बाह्य विकास क्षेत्र के रूप में शामिल किया जा सकता है. हालांकि, यह भी सख्त चेतावनी दी गयी है कि ऐसे गांव या क्षेत्र जो नगर से सीधे सटे नहीं हैं, उन्हें केवल भविष्य में नगर से जुड़ने की संभावना के आधार पर नगरीय समूह में शामिल करना गलत होगा. बाह्य विकास क्षेत्र की पहचान के लिए बुनियादी शहरी सुविधाओं को अनिवार्य बताया गया है. इनमें पक्की सड़कें, बिजली आपूर्ति, नल-जल, जल-निकासी व्यवस्था, विद्यालय, डाकघर, अस्पताल और बैंक जैसी सुविधाएं शामिल हैं. साथ ही यह भी निर्देश दिया गया है कि बाह्य विकास क्षेत्र एक स्पष्ट और व्यवहार्य इकाई हो, जिसकी सीमाएं और अवस्थिति आसानी से पहचानी जा सके. एक अहम निर्देश यह भी है कि यदि किसी राजस्व गांव का पूरा या आंशिक हिस्सा बाह्य विकास क्षेत्र के रूप में शामिल किया जाता है, तो उसके नाम और कोड का स्पष्ट उल्लेख प्राथमिक जनगणना सार में किया जाये. सभी राज्यों को 31 दिसंबर तक पूरी रिपोर्ट उपलब्ध कराने के निर्देश दिये गये हैं. केंद्र से प्राप्त आदेश के आलोक में राज्य जनगणना अधिकारी डॉ. मनीष रंजन ने सभी जिलों के उपायुक्तों, नगर निगमों और निकायों को रिपोर्ट उपलब्ध कराने का निर्देश दिया है.
नगर निगम में टीम का गठन
आगामी भारत की जनगणना-2027 को सफलतापूर्वक संपन्न कराने की दिशा में नगर निगम ने तैयारियां तेज कर दी हैं. इस संबंध में नगर आयुक्त रोहित सिन्हा ने आदेश जारी किया है. आदेश के आलोक में नगर निगम क्षेत्र के अंतर्गत बाह्य विकास क्षेत्रों की पहचान के लिए विशेष टीम का गठन किया गया है. नगर आयुक्त के निर्देशानुसार गठित इस टीम की अध्यक्षता सहायक नगर आयुक्त रंजीत सिंह करेंगे. टीम में सहायक अभियंता पारस कुमार, नगर प्रबंधक मनीष तिवारी, सफाई निरीक्षक सदाशिव जजवाड़े, कर संग्रहक सतन रमानी एवं दिनेश देव को सदस्य बनाया गया है. यह टीम निगम क्षेत्र के सभी वार्डों का भ्रमण कर बाह्य विकास क्षेत्रों की पहचान करेगी. पहचान के उपरांत संबंधित प्रतिवेदन सक्षम पदाधिकारी को उपलब्ध कराया जायेगा, ताकि जनगणना कार्य में किसी प्रकार की त्रुटि न रह जाये.
अगले वर्ष निगम का बढ़ सकता है दायरा
नगर निगम सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, गठित टीम निगम से सटे विकसित इलाकों की पहचान कर उन्हें निगम क्षेत्र में शामिल करने के लिए रिपोर्ट तैयार करेगी. सूत्रों के अनुसार, निगम रिखिया आश्रम (जहां विदेशी पर्यटकों का नियमित आगमन होता है), समाहरणालय एवं कोर्ट से तपोवन होते हुए मोहनपुर तक, जसीडीह-मानिकपुर क्षेत्र, एम्स एवं एयरपोर्ट क्षेत्र को निगम क्षेत्र में शामिल करने पर विचार कर रहा है. यदि सब कुछ अनुकूल रहा, तो आने वाले समय में ये इलाके नगर निगम के अंतर्गत आ सकते हैं. इससे पूरे क्षेत्र में विकास कार्यों को गति मिलेगी और निगम के राजस्व में भी वृद्धि होगी.हाइलाइटस
नगरीय समूहों के गठन को लेकर केंद्र ने जारी किये दिशा-निर्देशबाह्य विकास क्षेत्रों की पहचान के लिए नगर निगम में टीम गठितजनगणना-2027 से पहले देवघर नगर निगम का दायरा बढ़ने की संभावना
डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है
