अब एआइ की मदद से अपनों की आवाज सुनाकर ठग रहे साइबर अपराधी

अब साइबर अपराधी ठगी के लिए एआई (आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस) का इस्तेमाल करने लगे हैं. एआइ के सहारे साइबर अपराधी लोगों को अपनों की आवाज सुनाकर झांसा देते हैं और उनके रिश्तेदारों के केस में फंसने की बात कहते हुए ठगी कर रहे हैं.

By Prabhat Khabar | April 29, 2024 10:32 PM

देवघर. साइबर अपराधियों पर पुलिस जैसे-जैसे सख्ती बरत रही है, वैसे ही समय के साथ साइबर अपराधी भी अलग-अलग तरीकों से ठगी कर रहे हैं. अब साइबर अपराधी ठगी के लिए एआई (आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस) का इस्तेमाल करने लगे हैं. इसके लिए लोगों को भी सतर्क रहने की जरुरत है. ऐसे कुछ मामले सामने भी आये हैं, जिनमें एआइ का इस्तेमाल कर साइबर अपराधियों ने देवघर के लोगों से भी ठगी की है. वहीं कुछ लोगों से ठगी का प्रयास भी हुआ है. जानकारी के मुताबिक एआइ के सहारे साइबर अपराधी लोगों को अपनों की आवाज सुनाकर झांसा देते हैं और उनके रिश्तेदारों के केस में फंसने की बात कहते हुए छुड़ाने के लिये यूपीआई के जरिये पैसे ट्रांसफर करा ले रहे हैं. ऐसे फॉल्स कॉल करने वाले अपने व्हाट्सएप डीपी में बड़े पुलिस वालों की वर्दी वाली फोटो लगाये रखते हैं. कभी-कभी तो सायरन वाली आवाज सुनाते हैं, ताकि सामने वालों को यह भरोसा हो जाये कि उनके रिश्तेदार सचमुच में थाने में हिरासत में हैं. इसके बाद फॉल्स कॉल करने वाले ठग मुकदमे में फंसाने व जेल भेजने की धमकी देते हैं. सामने वाले डर जाते हैं तो उनके रिश्तेदार को थाने से छुड़ाने व मुकदमे से बचाने का झांसा देकर मोटी रकम की मांग करते हैं. ऐसे में लोग अपने रिश्तेदारों से बात किये बगैर फॉल्स कॉल करने वालों द्वारा दिये गये यूपीआई नंबर व एकाउंट नंबर पर पैसे जमा कर ठगी के शिकार हो जा रहे हैं. खासकर जिनके बच्चे बाहर में पढ़ रहे हैं, उन्हें ऐसे फॉल्स कॉल आने पर कॉल धारक की बातों पर भरोसा किये बगैर अपने बच्चों से पहले बात करनी चाहिये. बिना बात किये लोग ऐसे अपरिचित कॉल करने वाले के झांसे में आकर पैे नहीं ट्रांसफर करने चाहिये. देवघर में भी ऐसे फॉल्स कॉल से एक सहायक अध्यापक 10000 रुपये व ओड़िसा के राउरकेला में पढ़ने वाले कुंडा निवासी एक छात्र के पिता 50000 रुपये ठगी के शिकार हो चुके हैं. साथ ही एक छात्रा के पिता के साथ भी ठगी का प्रयास हुआ है.

केस स्टडी-1: सहायक अध्यापक से हुई है 10000 की ठगी

28 अप्रैल को बेटे के पुलिस केस में फंसने का झांसा देकर कुंडा थाना क्षेत्र के एक सहायक अध्यापक से 10 हजार रुपये की ठगी की गयी है. उनका बेटा भुवनेश्वर में रहकर पढ़ाई कर रहा है. उसे एक अज्ञात व्यक्ति ने कॉल कर बताया कि उनका बेटा पुलिस केस में फंस गया है. बेटे को छुड़ाने के नाम पर सहायक अध्यापक से अज्ञात मोबाइल धारक ने 10 हजार रुपये की मांग की. उक्त रुपये भेजने के लिये यूपीआई नंबर उपलब्ध कराया, जिसमें सहायक अध्यापक ने उसके द्वारा मांगे गये रुपये ट्रांसफर कर दिया. इसके बावजूद वह रुपये मांगता रहा. इसी बीच बेटे का कॉल आने पर सहायक अध्यापक को पता चला कि ऐसी कोई घटना नहीं हुई है. इसके बाद उन्हें साइबर ठगी का अहसास हुआ और वह शिकायत देने साइबर थाना पहुंचे थे.

केस स्टडी-2: छात्रा के पिता से 50 हजार रुपये ठगी का प्रयास

ओड़िसा के भुवनेश्वर में पढ़ रही देवघर निवासी बीसीए की छात्रा को थाना से छुड़ाने का झांसा देकर अलग-अलग पांच मोबाइल नंबर से उसके पिता को कॉल कर 12 मार्च को पैसे की मांग की गयी थी. हालांकि अपनी सतर्कता से वे साइबर ठगी होने से बच गये थे. उन्होंने चालाकी से अपनी बेटी को कॉल कर जानकारी ली, तो उसने बताया कि कॉलेज में क्लास कर रही है. इससे छात्रा के पिता ठगी के शिकार होने से बचे थे. हालांकि सत्संग आश्रम के समीप नगर थाना क्षेत्र के बसमता मुहल्ला निवासी छात्रा के पिता ने इस संबंध में उस वक्त साइबर थाने में शिकायत भी दिया था. दरअसल, अज्ञात मोबाइल धारक ने खुद को पुलिस इंस्पेक्टर बताते हुए कॉल किया था और कहा था कि आपकी बेटी गलत काम में फंस गयी है. थाने से छुड़वाने के लिए 50 हजार रुपये लगेंगे, अगर तुरंत 50 हजार रुपये ट्रांसफर नहीं किये, तो बाद में तीन लाख रुपये का फाइन हो जायेगा. तुरंत इतनी बड़ी रकम कहां से लाते, इसलिए पिता ने पुत्री को कॉल लगा दिया. पुत्री ने उन्हें बताया कि वह कॉलेज में क्लास कर रही है. इसके बाद ही छात्रा के पिता को अहसास हुआ कि उससे साइबर ठगी का प्रयास किया जा रहा है.

केस स्टडी-3: कुंडा के एक व्यक्ति से हुई है 50000 रुपये की ठगी

11 मार्च को कुंडा थाना क्षेत्र के एक व्यक्ति को इसी तरह अज्ञात मोबाइल धारक ने डीआइजी का आदमी बताकर कॉल करते हुए कहा था कि आपका बेटा रेप केस में फंस गया है. केस से छुड़ाने का झांसा देकर उससे 50 हजार रुपये की साइबर ठगी कर ली थी. उस मामले के पीड़ित का बेटा राउरकेला में पढ़ता है. लगातार ऐसे ठगी के प्रयास साइबर अपराधियों द्वारा किये जा रहे हैं.

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