व्रतों का खास महीना चतुर्मास

श्रीपति त्रिपाठी श्रावण शब्द श्रवण से बना है, जिसका अर्थ है सुनना, अर्थात सुन कर धर्म को समझना. वेदों को श्रुति कहा जाता है, अर्थात उस ज्ञान को ईश्वर से सुन कर ऋषियों ने लोगों को सुनाया था. यह महीना भक्तिभाव और सत्संग के लिए होता है. जिस भी भगवान को आप मानते हैं, आप […]

By Prabhat Khabar Print Desk | July 13, 2019 2:58 AM
श्रीपति त्रिपाठी
श्रावण शब्द श्रवण से बना है, जिसका अर्थ है सुनना, अर्थात सुन कर धर्म को समझना. वेदों को श्रुति कहा जाता है, अर्थात उस ज्ञान को ईश्वर से सुन कर ऋषियों ने लोगों को सुनाया था. यह महीना भक्तिभाव और सत्संग के लिए होता है. जिस भी भगवान को आप मानते हैं, आप उसकी पूरे मन से आराधना कर सकते हैं, लेकिन सावन के माह में, विशेषकर भगवान शिव, मां पार्वती और श्रीकृष्णजी की पूजा का काफी महत्व है.
हिंदू धर्म में व्रत तो बहुत हैं, लेकिन चतुर्मास को ही व्रतों का खास महीना कहा गया है. चतुर्मास चार महीने की अवधि है, जो आषाढ़ शुक्ल एकादशी से प्रारंभ होकर कार्तिक शुक्ल एकादशी तक चलती है. ये चार माह हैं- श्रावण, भाद्रपद, आश्विन और कार्तिक. चातुर्मास के प्रारंभ को ‘देवशयनी एकादशी’ कहते हैं और अंत को ‘देवोत्थान एकादशी’. चतुर्मास का प्रथम महीना है- श्रावण मास.
किसने शुरू किया श्रावण सोमवार व्रत
इस संबंध में पौराणिक कथा है कि जब सनत कुमारों ने महादेव से उन्हें सावन महीना प्रिय होने का कारण पूछा, तो भगवान शिव ने बताया कि जब देवी सती ने पिता दक्ष के घर में योगशक्ति से शरीर त्याग किया था, उससे पहले देवी सती ने महादेव को हर जन्म में पति के रूप में पाने का प्रण किया.
दूसरे जन्म में देवी सती ने पार्वती के नाम से हिमाचल और रानी मैना के घर में पुत्री रूप में जन्म लिया. पार्वती ने युवावस्था के सावन महीने में निराहार रह कर कठोर व्रत किया और उन्हें प्रसन्न कर विवाह किया. तब से महादेव को यह माह प्रिय हो गया.
क्या सोमवार को ही व्रत रखना चाहिए
श्रावण माह को कालांतर में ‘श्रावण सोमवार’ कहने लगे, इससे समझा जाने लगा कि श्रावण माह में सिर्फ सोमवार को ही व्रत रखना चाहिए, जबकि इस माह से व्रत रखने के दिन शुरू होते हैं, जो चार माह (चतुर्मास) तक चलते हैं. आमजन सोमवार को ही व्रत रखते हैं.
शिवपुराण के अनुसार जिस कामना से कोई इस मास के सोमवारों का व्रत करता है, उसकी वह कामना अवश्य एवं अतिशीघ्र पूरी होती है. जिन्हें 16 सोमवार व्रत करने हैं, वे भी सावन के पहले सोमवार से व्रत करने की शुरुआत कर सकते हैं. इस मास में भगवान शिव की बेलपत्र से पूजा करना श्रेष्ठ एवं शुभ फलदायक है.

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