शहर में स्टेडियम नहीं, कुंठित हो रहे हैं प्रतिभावान नौनिहाल
जिले का मुख्य शहर एक अदद खेल स्टेडियम को तरस रहा है.
झुमरीतिलैया. जिले का मुख्य शहर एक अदद खेल स्टेडियम को तरस रहा है. ऐसे समय में जब खेल दिवस पर पूरा देश खिलाड़ियों की उपलब्धियों का जश्न मना रहा होगा, तब शहर के खिलाड़ी अपनी पीड़ा लेकर खड़े हैं. झुमरीतिलैया शहर दशकों से एक अदद स्टेडियम की मांग कर रहा है, लेकिन नेताओं की अनदेखी और प्रशासन की लापरवाही ने खिलाड़ियों के सपनों को अधूरा छोड़ दिया है. चुनाव आते ही नेताओं की जुबान पर स्टेडियम का मुद्दा गर्म हो जाता है. बड़ी-बड़ी घोषणाएं होती हैं, लेकिन चुनाव बीतते ही आवाज खामोश हो जाती है. आज भी खिलाड़ी सीएच हाई स्कूल समेत अन्य मैदानों पर अभ्यास करने को विवश हैं. कोई टूर्नामेंट कराना हो, तो सीएच स्कूल मैदान का ही सहारा लेना पड़ता है. क्रिकेट टूर्नामेंट के लिए तो अब खिलाड़ी पुलिस लाइन चंदवारा के मैदान का रूख करने को विवश हैं. लोगों का कहना है कि कोडरमा के बागीटांड़ में करोड़ों रुपये की लागत से इंडोर स्टेडियम बना दिया गया है, पर यह शहर से काफी दूर है. खिलाड़ियों के लिए वहां जाकर अभ्यास करना संभव नहीं है. स्थानीय खिलाड़ियों की जरूरतें पूरी नहीं हो रही. एक ही मैदान पर सभी तरह के खेल का बोझ स्थानीय खिलाड़ी टेकलाल दास (करण) बताते हैं कि पूरा सीएच स्कूल मैदान ही क्रिकेट, फुटबॉल, एथलेटिक्स और रक्षा सेवा की तैयारी करने वाले युवाओं का सहारा है. बरसात में मैदान कीचड़ से भर जाता है, भेड़-बकरियां मैदान में घुस जाती हैं. ऐसे में खिलाड़ी अभ्यास नहीं कर पाते. जिले के बच्चे राज्य और जिला स्तर तक पदक ले आते हैं, लेकिन राष्ट्रीय स्तर पर ढंग की तैयारी न होने से पिछड़ जाते हैं. हमें एक ऐसा स्टेडियम चाहिए जिसमें इनडोर और आउटडोर दोनों तरह की सुविधाएं हों. ट्रैक और कोचिंग के बिना धावक परेशान एथलीट में झारखंड का प्रतिनिधित्व राष्ट्रीय स्तर पर करने वाली विद्यापुरी निवासी कोमल कुमारी कहती हैं कि शहर में सही ट्रैक तक नहीं है. 400 मीटर का पूरा ट्रैक नहीं मिलने से अभ्यास अधूरा रह जाता है. राष्ट्रीय स्तर पर सिंथेटिक ट्रैक पर दौड़ना होता है, लेकिन हमारे पास वह सुविधा नहीं है. न कोच है, न उपकरण. यदि झुमरीतिलैया में एक स्टेडियम बन जाये, तो हमारी सारी समस्याएं दूर हो सकती है. खिलाड़ी और बेहतर प्रदर्शन कर सकते हैं. छोटे मैदान में क्रिकेट की बड़ी मुश्किलें कोडरमा जिला क्रिकेट टीम के कप्तान हर्ष कुमार सिंह भी स्टेडियम की अनुपलब्धता से परेशान हैं. वे कहते हैं सीएच मैदान और चंदवारा स्थित पुलिस लाइन मैदान बहुत छोटा है. छोटे मैदान में जो शॉट छक्का होता है, वही बड़े स्टेडियम में कैच आउट हो जाता है. छोटे मैदान में फील्डिंग आसान होती है, जबकि बड़े मैदान में दौड़ कर मेहनत करनी पड़ती है. शुरू से ही बड़ा स्टेडियम मिलता, तो हमारी आदत और तकनीक बेहतर होती. क्रिकेटरों के प्रैक्टिस व खेल के लिए तो स्टेडियम अनिवार्य है. हालांकि गुमो में करीब पांच एकड़ क्षेत्र में खेल मैदान का निर्माण कार्य चल रहा है. चहारदीवारी का निर्माण हो गया है. लगभग एक करोड़ की लागत से तीन माह में मैदान को तैयार करने का दावा किया जा रहा है.
डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है
