तीन धर्मों के संगम स्थल मां भद्रकाली मंदिर का 18 साल से नहीं हुआ है पर्यटन विकास

झारखंड में पर्यटन स्थलों के विकास के लिए सरकार द्वारा कई तरह का घोषणा तथा योजना बनायी गयी

By VIKASH NATH | December 10, 2025 4:49 PM

फोटो 10सीएच 4:-,मंदिर का अलौकिक दृश्य विजय शर्मा इटखोरी. झारखंड में पर्यटन स्थलों के विकास के लिए सरकार द्वारा कई तरह का घोषणा तथा योजना बनायी गयी, लेकिन सब कागजों व फाइलों में कैद होकर रह गया है. राज्य का प्राचीनतम धार्मिक पर्यटन स्थल तीन धर्मों हिन्दू, जैन व बौद्ध का संगम स्थल मां भद्रकाली मंदिर परिसर पर्यटन विकास का इंतजार कर रहा है. पिछले 18 साल से मंदिर परिसर का विकास नहीं हुआ है. पर्यटन विभाग उदासीन बना हुआ है. वर्ष 2007 से पर्यटन विकास का कोई काम नहीं हुआ है. पर्यटकों को आकर्षित करने का कोई प्रयास नहीं किया जा रहा है. प्रत्येक वर्ष आयोजित होने वाले राजकीय इटखोरी महोत्सव में राज्य सरकार द्वारा विकास का घोषणा किया जाता है. लेकिन उसके बाद सबकुछ भुला दिया जाता है. खटाई में पड़ गया मास्टर प्लान पूर्व के सरकार(रघुवर दास) ने मां भद्रकाली मंदिर को विश्व स्तरीय पर्यटन स्थल बनाने का मास्टर प्लान तैयार किया था. जिसमें इटखोरी को बौद्ध सर्किट से जोड़ने का योजना था. यह योजना लगभग पांच सौ करोड़ रुपये की थी. इसके लिए मंदिर परिसर का डीपीआर तैयार किया गया था. लेकिन रघुवर दास की सरकार के हटते ही योजना खटाई में पड़ गया.मां भद्रकाली मंदिर को बौद्ध गया व रजरप्पा, पारसनाथ से जोड़ने का योजना था. क्या है मंदिर परिसर में मां भद्रकाली मंदिर प्राचीन काल की है. यहां जैन धर्म के दसवें तीर्थंकर भगवान शीतल नाथ जी का चरण पादुका व ताम्र पत्र मिला है. बौद्ध धर्म का भगवान बुद्ध का दर्जनों प्रतिमाएं अलग अलग मुद्रा में है. हिंदू धर्म की भी कई प्रतिमा है. यह स्थल पंद्रह सौ साल पहले का है.यहां खुदाई में मिले प्राचीन कालीन दुर्लभ प्रतिमाओं से पता चलता है. क्या लाभ होता मां भद्रकाली मंदिर परिसर का पर्यटन विकास होने से राज्य में पर्यटकों की संख्या में वृद्धि होती.इससे झारखंड को पर्यटन क्षेत्र के रूप में नयी पहचान मिलती. रोजगार का नया नया अवसर प्राप्त होता. विदेशी पर्यटकों के आने से आर्थिक विकास होता. स्थानीय युवाओं को रोजगार मिलता.कई तरह का नया रोजगार बढ़ता.

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