Chaibasa News : मानसिक तनाव से बचाव के लिए सकारात्मक दृष्टिकोण और काउंसेलिंग जरूरी: डॉ चटर्जी

बच्चों में बढ़ते अवसाद पर चिंता जतायी, परिवार व मित्रों से संवाद जरूरी

By ATUL PATHAK | October 10, 2025 10:16 PM

नोवामुंडी.

विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस पर पद्मावती जैन सरस्वती शिशु मंदिर (नोवामुंडी) में कक्षा 6 से 10 तक के विद्यार्थियों को “मेंटल हेल्थ इन कैटास्ट्रोफिक एंड इमरजेंसी” विषय पर जानकारी दी गयी. टाटा मेन हॉस्पिटल के ऑक्यूपेशनल हेल्थ विभाग के सीनियर रजिस्ट्रार और इंचार्ज डॉ अमला शंकर चटर्जी ने मानसिक स्वास्थ्य के महत्व और मानसिक बीमारियों को दूर करने पर जोर दिया. उन्होंने कहा कि मानसिक तनाव किसी भी व्यक्ति को प्रभावित कर सकता है. तनाव के प्रमुख कारणों में अवसाद और चिंता शामिल हैं, जो गंभीर परिस्थितियों में घबराहट के दौरे और मृत्यु तक का कारण बन सकते हैं. बच्चों में तेजी से अवसाद आने और गलत कदम उठाने की प्रवृत्ति पर भी चिंता व्यक्त की. उन्होंने नकारात्मक सोच से बाहर निकलने, परिजनों, गुरुजनों और मित्रों से अपनी परेशानी साझा करने, परिस्थिति के अनुसार व्यावहारिक कार्य करने, अपने दृष्टिकोण को बदलकर दुनिया को सकारात्मक तरीके से देखने, अत्यधिक मोबाइल फोन का उपयोग ना करने, काउंसेलिंग का अधिक से अधिक उपयोग करने, खुद को आश्वस्त और आत्मविश्वासी बनाए रखने के सुझाव दिये. मौके पर विद्यालय की प्रधानाचार्या सीमा पालित ने डॉ. अमला शंकर चटर्जी को अंगवस्त्र और स्मृति चिह्न भेंटकर सम्मानित किया. उन्होंने भी विद्यार्थियों से हमेशा सकारात्मक सोच रखने व छोटी-बड़ी बात पर अपनों से चर्चा करने की अपील की है.

””तनाव व अवसाद से जूझ रहे 16 से 30 वर्ष के युवा””

चाईबासा.

मानसिक स्वास्थ्य दिवस पर मांगीलाल रुंगटा प्लस- 2 विद्यालय सभागार में शुक्रवार से 10 से 17 अक्तूबर तक होने वाले कार्यक्रम का शुभारंभ सिविल सर्जन डा सुशांतो कुमार माझी ने दीप प्रज्ज्वलित कर किया. सिविल सर्जन ने कहा कि मानसिक स्वास्थ्य दिवस का उद्देश्य आम लोगों एवं बच्चों के प्रति जागरुकता बढ़ाना और यह समझाना है कि मानसिक समस्याएं भी उतनी ही गंभीर होती है, जितनी शारीरिक बीमारियां. चिंताजनक यह है कि आज के युवा 16 से 30 वर्ष की उम्र में बहुत तेजी से डिप्रेशन और स्ट्रेस जैसी मानसिक समस्याओं से जूझ रहे हैं. वहीं, क्लीनिकल साइकोलॉजिस्ट ने कहा कि मानसिक स्वास्थ्य एक महत्वपूर्ण विषय के बारे में जागरुकता एवं नींद की कमी, खराब खान-पान शारीरिक गतिविधियों के अभाव और डिजिटल लत भी इस समस्या को बढ़ा देते हैं. दिन-रात मोबाइल स्क्रीन में डूबे रहना न सिर्फ आंखों बल्कि दिमाग को भी थका देता है. कार्यक्रम में एसीएमओ सह नोडल पदाधिकारी एनसीडी, जिला आरसीएच, डीएस सदर अस्पताल, जिला कार्यक्रम प्रबंधक, जिला डाटा प्रबंधक एवं सभी एनसीडी सेल के कर्मियों व रुंगटा प्लस टू उच्च विद्यालय के विद्यार्थियों ने भाग लिया.

समझ, सहयोग व उपचार से इलाज संभव : डॉ. नित्यानंद

चाईबासा.

टाटा कॉलेज चाईबासा के मनोविज्ञान विभाग द्वारा विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस मनाया गया. इसमें मुख्य अतिथि प्राचार्य डॉ. एससी दास और कोल्हान विश्वविद्यालय के परीक्षा नियंत्रक प्रो. रिंकी दोराई ने दीप प्रज्ज्वलित कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया. कार्यक्रम में प्राध्यापक डॉ. नित्यानंद साव ने मानसिक स्वास्थ्य और हरे रिबन के महत्व की जानकारी दी. उन्होंने कहा कि हरा रिबन जागरुकता, सहानुभूति और आशा का प्रतीक है और यह जीवन में तनाव से मुक्ति, शांति और सकारात्मकता का संदेश देता है. मानसिक बीमारियां कोई कमजोरी नहीं, बल्कि ऐसी अवस्थाए हैं जिनसे समझ, सहयोग और उपचार के माध्यम से बाहर निकला जा सकता है. प्राचार्य ने भी इस विषय पर प्रकाश डालते हुए कहा कि कॉलेज परिवार मानसिक स्वास्थ्य को सर्वोपरि मानते हुए सदैव जागरूक रहेगा. कार्यक्रम में शिक्षक, विद्यार्थी एवं अतिथियों की अधिक संख्या में भागीदारी हुई. डॉ. धर्मेंद्र रजक ने मानवीय आपात स्थिति में मानसिक स्वास्थ्य की आवश्यकता पर बल दिया. विभागाध्यक्ष डॉ. विशाल दीप, प्रो. डोरिस मिंज और क्लिनिकल साइकोलॉजिस्ट डॉ. भाग्यश्री कर ने भी अपने विचार व्यक्त किए. अंत में ड्रग एडिक्शन पर विजय एंड ग्रुप ने प्रस्तुति दी.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है