गिरिडीह लोकसभा क्षेत्र में विस्थापन, पलायन, प्रदूषण, बेरोजगारी हैं मुख्य मुद्दे
संसदीय क्षेत्र के एक गांव की तसवीर
राकेश वर्मा, बेरमो : लोकसभा चुनाव को लेकर गिरिडीह संसदीय क्षेत्र में भी सरगर्मी तेज हो गयी हैं. गिरिडीह संसदीय क्षेत्र में आने वाले छह विधानसभा क्षेत्रों की बात करे तो हर क्षेत्र में अलग-अलग समस्याएं हैं. लेकिन पूरे संसदीय क्षेत्र में विस्थापन, पलायन, प्रदूषण, पेयजल की किल्लत, बेरोजगारी और सिंचाई सुविधा की कमी मुख्य रूप समस्याएं हैं. पिछले चार दशकों में यहां एक भी नये उद्योग-धंधे नहीं लगे. डुमरी, गोमिया, बेरमो, डुमरी व टुंडी विस क्षेत्र में पलायन की समस्या विकराल है. इन जगहों से हर साल हजारों युवक रोजगार की तलाश में दूसरे राज्यों में पलायन करते हैं. सिर्फ गोमिया विस क्षेत्र के 10 से 15 हजार नौजवान सूरत, मुंबई, चैन्नई, आदि में काम कर रहे हैं. डुमरी, गोमिया, बेरमो, डुमरी व टुंडी विस क्षेत्र पूरी तरह से नक्सल प्रभावित है. इन क्षेत्र की कई पंचायतों व गांवों में केंद्र व राज्य सरकार की विकास योजनाएं धरातल पर नहीं उतरती हैं. गिरिडीह संसदीय क्षेत्र में पड़ने वाले धनबाद, बोकारो व गिरिडीह के शहरों में कई बड़े कल-कारखाने तथा उद्योग संचालित हैं. इसके बावजूद गांवों के युवा पलायन के संताप झेल रहे हैं. जिनकी जमीन पर कल-कारखाने चल रहे हैं, वे लोग भी रोजी-रोटी के लिए मारे-मारे फिरते हैं. बोकारो जिला अंतर्गत नावाडीह प्रखंड के पलामू, बरई, नारायणपुर, पिलपिलो, गोनियाटो, काछो, पेक, पोखरिया, मुंगो रंगामाटी, कोठी, भवानी, सुरही, भलमारा, कुकरलिलवा, चिरूडीह, कोदवाडीह, जमुनपनिया, हुरसोडीह, आहरडीह-केशधरी, दहियारी, नावाडीह, कसमार प्रखंड के सिंहपुर, पिरगुल, हरनाद, मुडमुल, बगदा, दुर्गापुर, सुधीबेडा, खैराचातर, जरीडीह प्रखंड के अराजू, भस्की, पाथुरिया, गांगजोरी, बेलडीह, हल्दी, हरीडीह, गोमिया प्रखंड का सुअरकटवा, सीमराबेड़ा, बलथरवा, अमन, करीखुर्द, तुलबुल, बड़की सिधावारा, बड़की चिदरी, लोधी, चतरोचटी, कडमा, जगेश्वर, तिलैया, कशियाडीह, मुरपा, रहावन, पचमो, दनिया, सिमराबेडा, धवैया और चंद्रपुरा प्रखंड के पपलो, तारानारी, तरंगा, बंदियो, फुलवारी, चिरूडीह आदि से काफी संख्या में युवा रोजगार के लिए पलायन करते हैं. बेरमो और गोमिया विस क्षेत्र क्षेत्र में विस्थापन की समस्या गंभीर है. जिन लोगों की जमीन सीसीएल व डीवीसी ने वर्षों पूर्व अधिग्रहीत की, आज वे लोग दर-दर की ठोकरें खाने को विवश हैं. कई विस्थापितों का नियोजन व मुआवजा लंबित है. सीसीएल, डीवीसी, टीटीपीएस व तेनुघाट डैम से संबंधित विस्थापितों की बदहाली की लंबी दास्तां है. समय-समय पर विस्थापित अपनी मांगों को लेकर आंदोलन करते हैं, लेकिन हासिल कुछ नहीं. बेरमो विस क्षेत्र में सीसीएल के बीएंडके, ढोरी व कथारा एरिया की विभिन्न परियोजनाओं में विस्थापितों की समस्या विकराल है. वर्षों से यहां के विस्थापित नियोजन, मुआवजा व पुनर्वास को लेकर आंदोलनरत हैं. हालांकि कई बड़े आंदोलन के बाद विस्थापितों को कुछ हक मिले हैं. गिरिडीह संसदीय क्षेत्र में सिंचाई व्यवस्था की कमी भी समस्या है. सिंचाई की अगर माकूल व्यवस्था हो तथा आधुनिक तकनीक का इस्तेमाल किसान कर सके तो उन्हें काफी फायदा होता. दूसरी ओर बेरमो, गोमिया, बाघमारा व गिरिडीह विस क्षेत्र में पेयजल की समस्या विकराल है. सालों भर लोग इससे जूझते हैं. पूरे बेरमो विस क्षेत्र में लोग छाई व कोयला प्रदूषण से त्रस्त हैं.
