Bokaro News : गांवों में खत्म होता जा रहा बिटा बांधने का प्रचलन

Bokaro News : एक-डेढ़ दशक से बिटा बांधने का प्रचलन अब गांवों में खत्म होता जा रहा है.

By JANAK SINGH CHOUDHARY | November 28, 2025 10:26 PM

उदय गिरि, फुसरो नगर, नावाडीह, चंद्रपुरा, गोमिया, पेटरवार क्षेत्र के गांवों में अगहन-पूस माह आते ही धनकटनी के बाद किसान धान को अगले वर्ष तक सुरक्षित रखने के लिए तैयारी में जुट जाते थे. इसके लिए बिटा बनाया जाता था. आंगन से धम-धम की आवाज आती थी. इससे लोग जान जाते थे कि बिटा बांधा जा रहा है. किसानों की शान बिटा होता था. घर में बिटों की संख्या देख कर किसान परिवार की समृद्धि की पहचान की जाती थी. घरों में जमीन पर डेढ़ से दो फीट ऊंचे पत्थर पर मोटी लकड़ी का पाड़न बना कर इसके ऊपर बिटा को रख देते थे. बिटा में रखा अनाज कई सालों तक सुरक्षित रहता था. एक-डेढ़ दशक से बिटा बांधने का प्रचलन अब गांवों में खत्म होता जा रहा है. अब किसान धान, चावल, कच्चू, मडुआ, गेंहू, कुरथी को बिटा में नहीं रख कर चदरा या प्लास्टिक के ड्रम में रखते हैं.

कैसे बनता था यह

बिटा बनाने के लिए बिचाली से मोटी रस्सी हाथ से बनायी जाती थी और इसी से बिटा बांधा जाता है. बिचाली बिछा कर टोकरे में अनाज रख दिया जाता है. इसके बाद बिचाली को समेट कर बिचाली की बनी रस्सी चारों तरफ से घुमा कर बांध दिया जाता था. टोकरी को निकाल कर उसे चारों तरफ घुमा-घुमा कर मोटे डंडे जैसे मुंगरा से पीटा जाता है. इसे बनाने में तीन से चार लोग लगते थे.

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