जहां लिखी गई थी संताल संस्कृति की नींव वह आज भी है आस्था का सबसे बड़ा केंद्र, जानें लुगुबुरु घांटाबाड़ी का इतिहास

Luguburu Ghantabari: ललपनिया के बोकारो स्थित लुगुबुरु घांटाबाड़ी धोरोमगढ़ संताल समुदाय की आस्था, संस्कृति और परंपरा का प्रमुख केंद्र है. मान्यता है कि यहीं संताल समाज के रीति-रिवाजों और संविधान की रचना हुई थी. कार्तिक पूर्णिमा पर यहां अंतरराष्ट्रीय संताल सरना धर्म महासम्मेलन आयोजित होता है, जिसमें देश-विदेश से लाखों श्रद्धालु पहुंचते हैं.

By Sameer Oraon | November 3, 2025 9:14 PM

Luguburu Ghantabari, बोकारो : बोकारो जिले के ललपनिया स्थित लुगुबुरु घांटाबाड़ी धोरोमगढ़ संताल समुदाय के धार्मिक, सांस्कृतिक और ऐतिहासिक पहचान का प्रतीक है. माना जाता है कि यहीं लुगु बाबा की अध्यक्षता में संताल समाज की परंपराएं, रीति-रिवाज और जीवन शैली से जुड़े नियम तैयार किए गए थे, जिन्हें संताली संविधान भी कहा जाता है. दोरबार चट्टानी के इस पवित्र स्थल पर हजारों वर्ष पहले संतालियों की लंबी सभा हुई थी. माना जाता है कि इस दौरान खेती-बारी से लेकर जीवन के सभी नियम और परंपराएं निर्धारित हुईं. आज भी यहां धान कूटने के लिए प्रयुक्त ‘उखुड़ कांडी’ (उखल) के अवशेष मौजूद हैं, जो उस इतिहास का प्रमाण देते हैं.

सीता झरना सबसे बड़ा आस्था का केंद्र

यहां बहने वाला पवित्र ‘सीता झरना’ श्रद्धालुओं के लिए आस्था का केंद्र है. विश्वास है कि इस जल के सेवन से कई बीमारियां दूर हो जाती हैं. झरने के पास मौजूद गुफा को लोग ‘लुगु बाबा का छटका’ कहते हैं. मान्यता है कि इसी गुफा मार्ग से लुगु बाबा पहाड़ के सात किलोमीटर ऊपर स्थित ‘लुगुबुरु पुनाय थान (घिरी दोलान)’ तक आते-जाते थे.

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सात आराध्यों की पूजा होती है यहां

दोरबार चट्टानी पुनाय थान में मरांग बुरु, लुगुबुरु, लुगु आयो, घांटाबाड़ी गो बाबा, कपसा बाबा, कुड़ीकीन बुरु और बीरा गोसाईं सहित सात आराध्यों की पूजा होती है. कार्तिक पूर्णिमा पर यहां तीन दिवसीय अंतरराष्ट्रीय संताल सरना धर्म महासम्मेलन आयोजित होता है, जिसमें देश-विदेश से लाखों श्रद्धालु आते हैं.

संताल समाज प्रकृति संरक्षण का संकल्प लेते हैं

सम्मेलन में संताल समाज प्रकृति संरक्षण, भाषा, संस्कृति और परंपरा को जीवित रखने का संकल्प लेते हैं. संताल धर्म प्रकृति की उपासना पर आधारित है. जाहेरगाढ़ (सरना स्थल) संतालियों का प्रमुख पूजा स्थल है, जहां सखुआ वृक्षों के बीच देवताओं की पूजा होती है.

ललपनिया रांची से 90 किमी दूर है लुगुबुरु घांटाबाड़ी

ललपनिया रांची से 90 किमी, दुमका से 218 किमी और मिदनापुर (प. बंगाल) से 307 किमी दूर है. यहां पेटरवार–गोमिया और रामगढ़–नयामोड़ रूट से पहुंचा जा सकता है. नजदीकी रेलवे स्टेशन गोमिया (17 किमी) और रांची रोड (33 किमी) हैं. प्रशासन की ओर से श्रद्धालुओं के लिए परिवहन सुविधा उपलब्ध कराई जाती है.

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