Bokaro News : सुखद व अवसादमुक्त जीवन के लिए ध्यान जरूरी : संगीता

Bokaro News : पर्युषण पर्व के सातवें दिन ध्यान दिवस मनाया गया, पांच से छह घंटे की नींद है बेहद जरूरी.

By ANAND KUMAR UPADHYAY | August 26, 2025 11:39 PM

चास, अंतर्मन की यात्रा करना ध्यान है, मन को साधना बहुत आवश्यक होता है, क्योंकि यह मन ही मनुष्य के कर्मबंध का कारण एवं मोक्ष का भी कारण हो सकता है. मन वचन काया की प्रवृत्ति का निरोध करना और एक बिंदु पर एकाग्र होना ही ध्यान है और वास्तव में सुखद तथा अवसादमुक्त जीवन के लिए ध्यान करना बहुत ही जरूरी है. यह बातें जैन उपासिका संगीता पटावरी ने कहीं. वह श्री जैन श्वेतांबर तेरापंथी सभा, चास-बोकारो के तत्वावधान में चास में मनाये जा रहे पर्युषण पर्व के सातवें दिन मंगलवार को ध्यान दिवस के कार्यक्रम को संबोधित कर रहीं थी.

उपासिका ने कहा कि आज की भागमभाग भरी जिंदगी और भौतिकतावादी युग में लोगों को सही नींद नसीब नहीं होती. जबकि पांच से छह घंटे की नींद बेहद जरूरी है. इससे तन और मन दोनों ऊर्जावान बना रहता है साथ ही ध्यान करना आवश्यक है. खासकर, महिलाओं को अधिक अवसाद हो जाता है. अच्छी नींद के लिए महाप्राण ध्वनि, योगासन, कायोत्सर्ग आदि कारगर है. अच्छी नींद के लिए खान- पान भी सही हो और सूर्य अस्त से पहले हो.

अंतर जगत को जानने का एकमात्र साधन है ध्यान : सायर

उपासिका सायर कोठारी ने कहा कि ध्यान अंतर जगत को जानने का एकमात्र साधन है . 24 वें तीर्थंकर भगवान महावीर स्वामी ने अपनी साधना काल के साढ़े 12 वर्ष में अधिकतम समय ध्यान में ही व्यतीत किया. तेरापंथ धर्म संघ की 10वें आचार्य महाप्रज्ञ जी ने ध्यान को एक नया रूप दिया जो प्रेक्षा ध्यान के रूप में माना गया. आज देश-विदेश के लोग इसे अपनाकर अपने जीवन को एक नया मोड़ दे रहे हैं. व्यक्ति त्याग तपस्या द्वारा अपने इंद्रिय मन और चित्त को संयमित करते हुए अपनी आत्मा के निकट जाने का प्रयास करता है. आत्मा के निकट जाने के लिए व्यक्ति के द्वारा गृहीत किए हुए व्रत, जप और ध्यान उसे परमात्मा में लीन होने का मार्ग अग्रसर करता है. ऐसी ही कला को सिखाता है ध्यान दिवस. कहा कि पर्युषण पर्व का सातवां दिन ध्यान दिवस निष्पत्ति एवं उपसंहार के रूप में है.

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