Bokaro News : सरकार की नीतियां कॉरपोरेट हाउस को लाभ पहुंचाने वाली
Bokaro News : केंद्रीय मजदूर ट्रेड यूनियन व किसान मोर्चा ने किया चार कोड श्रम संहिता के खिलाफ किया प्रदर्शन, राष्ट्रपति के नाम उपायुक्त काे सौंपा ज्ञापन.
बोकारो, केंद्रीय मजदूर ट्रेड यूनियन व किसान मोर्चा ने बुधवार को 04 श्रम संहिता के विरोध में राष्ट्रपति के नाम से उपायुक्त को ज्ञापन सौंपा. इससे पहले केंद्र सरकार की ओर से श्रम संहिता के विरोध में प्रदर्शन किया गया. वक्ताओं ने कहा कि मुद्दों को उजागर व समाधान की मांग के लिए संयुक्त रूप से विरोध किया जा रहा है. पिछले साल भी विरोध किया गया था. लेकिन, सरकार ने मांगों पर विचार करने के बजाय 21 नवंबर को बिना भारतीय श्रम सम्मेलन आयोजित किए चार श्रम संहिता लागू कर दिया. वक्ताओं ने कहा कि हाल ही में हस्ताक्षरित भारत-यूके सीटा भारत की खाद्य सुरक्षा, स्वास्थ्य सेवा और आर्थिक आत्मनिर्भरता पर सीधा आक्रमण है. इस समझौते से ब्रिटिश एग्रीबिजनेस को सस्ता डेयरी, गेहूं व मांस भारतीय बाजारों में भरने की अनुमति मिलेगी. यह समझौता भारत की स्वास्थ्य सेवाओं को भी ब्रिटिश कॉरपोरेट के कब्जे के लिए खोलता है, जिससे निजीकरण बढ़ेगा. दवाइयों की कीमतों में वृद्धि होगी. वक्ताओं ने कहा कि श्रमजीवी वर्ग एक गहरी संकट की स्थिति में है. सरकार की नीतियां केवल कॉरपोरेट हाउस को लाभ पहुंचाने के लिए बनायी जा रही है. खेती की लागत व महंगाई हर वर्ष 1215 प्रतिशत बढ़ रही है, जबकि सरकार एमएसपी केवल 27 प्रतिशत बढ़ा रही है. सरकार डिजिटल एग्रीकल्चर मिशन के जरिए भूमि व फसल डिजिटलीकरण को लागू कर रही है, ताकि कॉर्पोरेट्स को लाभ मिले. कांट्रेक्ट फार्मिंग व फसली ढांचे को बदलकर किसानों को नकदी फसलों की ओर धकेला जा रहा है. राष्ट्रीय सहकारिता नीति (2024-25) का उद्देश्य कृषि के बाद की प्रक्रिया व सहकारी क्षेत्र को कॉर्पोरेट के हवाले करना है. आइसीएआरभी कई एमएनसी कंपनियों के साथ समझौते कर चुका है. मंडियों को अडानी-अंबानी जैसी कंपनियों को सौंपा जा रहा है. वक्ताओं ने कहा कि चार श्रम संहिता मजदूरों के न्यूनतम वेतन, सुरक्षित रोजगार, सामाजिक सुरक्षा, कार्य समय व यूनियन बनाने के अधिकार को समाप्त करती हैं. निजीकरण, ठेकाकरण व भर्ती-निषेध नीतियां श्रमिकों को असुरक्षित स्थिति में धकेल रही हैं. औद्योगिकरण के नाम पर जबरन भूमि अधिग्रहण किया जा रहा है. जबकि, जमीन का इस्तेमाल मनोरंजन, टूरिज्म व रियल एस्टेट के लिए ली जा रही है. वक्ताओं ने कहा : सरकार ने 18 लाख करोड़ रुपये कॉर्पोरेट कर्ज माफ किया है, लेकिन किसान व मजदूरों को राहत नहीं दी. भारत को अमेरिया के टैरिफ दबाव को अस्वीकार करना चाहिए. कोई भी व्यापार समझौता गुप्त रूप से नहीं बल्कि संसद में अनुमोदन अनिवार्य हो. अध्यक्षता किसान नेता पंचानन महतो व संचालन सत्येंद्र कुमार ने किया. बोकारो इस्पात कामगार यूनियन एटक के रामाश्रय प्रसाद सिंह, बोकारो स्टील वर्कर्स यूनियन इंटक के बीएन उपाध्याय, क्रांतिकारी इस्पात मजदूर संघ के राजेंद्र सिंह, इस्पात मजदूर मोर्चा के आरके गोरांई, सेंटर ऑफ स्टील वर्कर्स यूनियन के देवदीप सिंह दिवाकर, बोकारो इस्पात सेंट्रल वर्कर्स यूनियन के मोहन चौधरी, बोकारो कर्मचारी पंचायत के रमाकांत वर्मा के अलावा किसान नेता भुनेश्वर केवट,बिसनाथ बनर्जी, दिलीप ओझा, हरिपत महतो, नारायण महतो, सीटू नेता भगीरथ शर्मा व अन्य ने संबोधित किया.
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