Bokaro News : झारखंड में पोषण व प्रारंभिक शिक्षा को मजबूत बना रहा इएसएल

Bokaro News : नंद घरों में हर्षोल्लास के साथ मनाया गया बाल दिवस, बच्चों का बढ़ा आत्मविश्वास व सीखने का मिला अवसर.

By ANAND KUMAR UPADHYAY | November 27, 2025 10:32 PM

बोकारो, इएसएल स्टील लिमिटेड ग्रामीण झारखंड में पोषण, शिक्षा और मातृ स्वास्थ्य को सशक्त बनाते हुए प्रारंभिक बाल विकास की मजबूत नींव तैयार करने के अपने नंद घर कार्यक्रम को निरंतर गति दे रहा है. हाल ही में सभी नंद घरों में बाल दिवस हर्षोल्लास के साथ मनाया गया. उत्साहपूर्ण गतिविधियों ने नन्हे बच्चों में रचनात्मकता, आत्मविश्वास व सीखने की खुशी को बढ़ावा दिया. नंद घर उसरडीह में आयोजित कार्यक्रम में इएसएल के वरिष्ठ नेतृत्व संजय सिन्हा (हेड-पीआर एवं स्टेकहोल्डर मैनेजमेंट) व कुणाल दरिपा (हेड-सीएसआर) ने बच्चों के साथ ड्राइंग, रंग भरने व कविता पाठ में हिस्सा लिया. आयोजन ‘पोषण माह’ के आयोजन के बाद हुआ. माताओं को संतुलित आहार, स्तनपान, स्वच्छता व घरेलू पोषण के महत्व पर जागरूक किया गया. शिशु संजीवनी विशेष रूप से तैयार मिलेट हलवा का नियमित वितरण किया गया, जिससे छह वर्ष से कम उम्र के बच्चों में प्रतिरक्षा क्षमता, स्वस्थ विकास व ऊर्जा में सुधार देखा जा रहा है.

‘मिलेट मिशन’ को मजबूत करते हुए कुपोषण के खिलाफ राज्य में महत्वपूर्ण योगदान

मिलेट्स को दैनिक पोषण का हिस्सा बनाकर इएसएल भारत सरकार के ‘मिलेट मिशन’ को मजबूत करते हुए कुपोषण के खिलाफ झारखंड में महत्वपूर्ण योगदान दे रहा है. नंद घर उसरडीह की सेविका माया खोवास ने कहा कि सही पोषण ही इनके सपनों की सबसे मजबूत नींव है. जब किसी बच्चे को कमजोर से तंदुरुस्त होते देखती हूं, तो लगता है मेहनत सफल हो रही है. बाल स्वास्थ्य और पोषण के साथ कई नंद घरों में गोद भराई और अन्नप्राशन जैसे सांस्कृतिक रूप से महत्वपूर्ण कार्यक्रम भी आयोजित किये गये.

बच्चों को शुरू से ही अच्छी सेहत और बेहतर शिक्षा : रवीश शर्मा

इएसएल स्टील लिमिटेड के सीइओ व निदेशक रवीश शर्मा ने कहा कि इएसएल में हमारा मानना है कि हर बच्चे को प्रारंभ से ही अच्छा स्वास्थ्य और बेहतर शिक्षा मिलनी चाहिए. शिशु संजीवनी, दैनिक पोषण और आनंदमय शिक्षा के माध्यम से हम ग्रामीण झारखंड में स्वस्थ और खुशहाल बचपन का निर्माण कर रहे हैं. इएसएल के निरंतर प्रयासों के सकारात्मक परिणाम यह है कि बच्चों की पोषण स्थिति में सुधार हुआ. माता-पिता की सहभागिता में वृद्धि हुई. प्रारंभिक शिक्षार्थियों में स्कूल तैयारियों में बढ़ोतरी हुई.

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