Bokaro News : पिरगुल चौक में कुड़मी-आदिवासी समुदाय में टकराव, माहौल गरमाया
Bokaro News : निशा भगत के बयान के बाद बिगड़ी स्थिति, बाद में मामला सुलझा, कुड़मी समाज ने फूंका निशा भगत का पुतला व आदिवासी समाज ने की नारेबाजी.
कसमार, कसमार प्रखंड के पिरगुल चौक पर शनिवार की शाम अचानक तनाव की स्थिति बन गयी, जब बिरसा मुंडा की 150वीं जयंती और झारखंड स्थापना दिवस कार्यक्रम के बाद कुड़मी और आदिवासी समुदाय के युवक आमने-सामने आ गए. दोनों ओर से कुछ देर तक नारेबाजी हुई और माहौल गरमाने लगा. स्थिति को संवेदनशील होते देख स्थानीय लोगों की सूझबूझ और हस्तक्षेप से मामला शांत हुआ.
घटना की शुरुआत तब हुई, जब आदिवासी एकता मंच द्वारा पिरगुल बस पड़ाव पर आयोजित समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में शामिल आदिवासी नेत्री निशा भगत कार्यक्रम समाप्त कर लौट रही थीं. इसी दौरान कुड़मी समाज के कुछ युवाओं ने उनकी गाड़ी रोक ली. आरोप था कि समारोह के दौरान उन्होंने कुड़मी समुदाय के खिलाफ आपत्तिजनक बातें कही थीं. हालांकि, उनके समर्थकों ने किसी विवाद से बचते हुए गाड़ी को वापस लौटा दिया और वे अन्य मार्ग से रांची के लिए रवाना हो गयीं.कुड़मी समाज को अपमानित करने का आरोप
कुड़मी युवाओं ने पिरगुल चौक पर निशा भगत का पुतला दहन कर कथित बयानबाजी को लेकर विरोध दर्ज किया. उन्होंने आरोप लगाया कि मंच से कुड़मियों को अपमानित किया गया. असंसदीय शब्दों का इस्तेमाल किया गया. कार्यक्रम में जितेंद्र महतो, विजय महतो, तुलसीदास महतो, शेखर महतो, प्रशांत कुमार महतो, मनोज महतो, सरोज महतो, रंजीत महतो, भूदेश महतो, सुभाष महतो, केदार महतो, छूटू राम महतो, मानू महतो, अरुण महतो सहित कई नेता मौजूद थे.निशा भगत के बयान को तोड़-मरोड़ कर पेश किया : बिरसा समिति
दूसरी तरफ, बिरसा जयंती समारोह समिति ने इन आरोपों का खंडन किया है. आयोजन समिति के अध्यक्ष दशरथ टुडू, सचिव मणिलाल मुंडा, कोषाध्यक्ष प्रदीप गंझू सहित कई सदस्यों ने कहा कि निशा भगत के बयान को तोड़-मरोड़कर पेश किया गया है. पुतला दहन के दौरान आदिवासी समुदाय के ग्रामीण भी मौके पर पहुंच गए और उन्होंने निशा भगत तथा सरना समिति अध्यक्ष फूलचंद तिर्की के समर्थन में नारे लगाए.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है
