तिहाड़ जेल जनहित याचिका मामला: दिल्ली हाईकोर्ट ने जारी किया नोटिस, सरकार से मांगा जवाब

तिहाड़ जेल में स्वच्छ जल की उपलब्धता और स्वच्छ सैनिटरी की मांग को लेकर दायर पीआईएल पर दिल्ली हाईकोर्ट ने नोटिस जारी किया है. बता दें, यह जनहित याचिका दिल्ली उच्च न्यायालय कानूनी सेवा समिति की ओर से दायर किया गया था. वहीं, मामले में कोर्ट ने दिल्ली सरकार के संबंधित अधिकारियों से जवाब मांगा है.

By Pritish Sahay | December 5, 2022 5:08 PM

तिहाड़ जेल में स्वच्छ जल की उपलब्धता स्वच्छ सैनिटरी की मांग को लेकर दायर पीआईएल पर दिल्ली हाईकोर्ट ने नोटिस जारी किया है. हाईकोर्ट ने पीआईएल को लेकर दिल्ली सरकार को नोटिस जारी किया है. न्यूज एजेंसी एएनआई की एक रिपोर्ट के मुताबिक, दिल्ली हाईकोर्ट में न्यायमूर्ति जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा और जस्टिस सुब्रमण्यम प्रसाद की पीठ ने आज यानी सोमवार को मामले में दिल्ली सरकार के संबंधित अधिकारियों से जवाब मांगा है. बता दें, जनहित याचिका में जेल में पीने के स्वच्छ पानी समेत उचित स्वच्छता की स्थिति सुनिश्चित करने की भी मांग की गई है.

किसने दायर की हाईकोर्ट में याचिका: गौरतलब है कि यह जनहित याचिका दिल्ली उच्च न्यायालय कानूनी सेवा समिति (डीएचसीएलएसए) की ओर से दायर किया गया है. याचिका में कहा गया है कि तिहाड़ जेल परिसर में पर्याप्त और स्वच्छ पेयजल की कमी, उचित स्वच्छता और खराब स्वच्छता की स्थिति पर प्रकाश डालना है. वहीं, पीआईएल दायर करने के बाद जेल का निरीक्षण भी किया गया.

तिहाड़ जेल में पायी गयी कई कमियां: जांच के दौरान जेल परिसर में कई कमियां पाई गई. जांच में पैनल वकील द्वारा तैयार की गई रिपोर्ट में पाया गया कि तिहाड़ जेल के परिसर में पर्याप्त और स्वच्छ पेयजल उपलब्ध नहीं कराया जा रहा है. इसके अलावा, यह भी सामने आया कि शौचालयों की स्थिति भी बेहद खराब थी, कई जगह से शौचालय टूटा हुआ था. यहां तक की शौचालय का दरवाजा भी टूटा हुआ था.

क्या कहता है जेल का नियम: गौरतलब है कि दिल्ली जेल नियम 2018 और मॉडल जेल मैनुअल 2016 में यह प्रावधान किया गया है कि जेल के कैदियों को स्वच्छ और पर्याप्त पेयजल उपलब्ध कराया जाए. इसके साथ ही जेल परिसर में स्वच्छता का भी विशेष ध्यान रखा जाए. नियम में कहा गया है कि तिहाड़ जेल के कैदियों को स्वच्छ और पर्याप्त पेयजल, स्वच्छता, समग्र स्वच्छ वातावरण और स्वच्छ और निजी शौचालयों जैसी बुनियादी सुविधाओं से वंचित करना दिल्ली जेल नियमों के साथ-साथ मॉडल जेल मैनुअल का भी उल्लंघन है.

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