हाजीपुर-महुआ-पातेपुर-समस्तीपुर रेलमार्ग का पीएम करें एलान

हाजीपुर : तत्कालीन रेलमंत्री राम विलास पासवान के कार्यकाल में हाजीपुर-महुआ-पातेपुर-समस्तीपुर रेलमार्ग का सर्वेक्षण हुआ था और उसके बाद इसे ठंडे बस्ते में डाल दिया गया. वैशाली और समस्तीपुर जिलों की एक बड़ी आबादी रेलमार्ग की पहुंच से दूर है. इसे जोड़ने की इस महत्वाकांक्षी योजना को ठंडे बस्ता में डाल दिये जाने के बाद […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | March 11, 2016 11:53 PM

हाजीपुर : तत्कालीन रेलमंत्री राम विलास पासवान के कार्यकाल में हाजीपुर-महुआ-पातेपुर-समस्तीपुर रेलमार्ग का सर्वेक्षण हुआ था और उसके बाद इसे ठंडे बस्ते में डाल दिया गया. वैशाली और समस्तीपुर जिलों की एक बड़ी आबादी रेलमार्ग की पहुंच से दूर है. इसे जोड़ने की इस महत्वाकांक्षी योजना को ठंडे बस्ता में डाल दिये जाने के बाद दोनों ही जिलों के लोग तब से मंत्रालय पर टकटकी लगाये हैं.

लोगों को उम्मीद है कि शायद प्रधानमंत्री शनिवार के हाजीपुर कार्यक्रम के दौरान इसका ऐलान कर लोगों के सपना साकार कर सकें. इस रेलमार्ग के बनने से वैशाली जिले की 15 लाख के साथ ही समस्तीपुर जिले की 16 लाख की आबादी को सीधे लाभ होगा, जबकि हाजीपुर और समस्तीपुर के बीच की दूरी घट कर आधी हो जायेगी.

हाजीपुर-वैशाली-सुगौली लाइन जल्द हो पूरी : बुद्ध सर्किट के अंतर्गत निर्माणाधीन हाजीपुर-वैशाली-सुगौली रेल लाइन का निर्माण कार्य शीघ्र पूरा हो सके, इसके लिए भी समारोह में घोषणा हो. इस रेलखंड के निर्माण में दो दशक की अवधि समाप्त हो गयी. निर्धारित अवधि में निर्माण कार्य समाप्त नहीं होने से न केवल निर्माण व्यय बढ़ रहा है, बल्कि लोगों में इसे लेकर असंतोष भी है. इस रेलखंड के चालू होने से वैशाली, मुजफ्फरपुर, पूर्वी चंपारण और पश्चिम चंपारण जिले के 50 लाख से भी अधिक आबादी सीधे रेल सेवा से जुड़ जायेगी और हाजीपुर- पटना से इनकी दूरी घट कर लगभग आधी रह जायेगी.
बरौनी, मुजफ्फरपुर एवं पटना के लिए प्रत्येक घंटे हो सवारी गाड़ी :
पूर्व मध्य रेल मुख्यालय के हाजीपुर जंक्शन से पटना, मुजफफरपुर और बरौनी के लिए काफी संख्या में यात्री हैं, लेकिन उस अनुपात में सवारी गाड़ियों की कमी है. इस कारण यात्रियों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है. यदि तीनों मार्गों पर नियमित रूप से एक घंटे के अंतराल पर सवारी गाड़ी के परिचालन होने से न केवल रेलवे को लाभ होगा बल्कि लोगों को भी लाभ होगा.वहीं, दिल्ली, कोलकाता, गौहाटी, पूरी, चेन्नई आदि जगहों के लिए यहां से गाड़ियां खुले, ऐसा लोगों को मंच से घोषणा किये जाने की आशा है.
पटना स्थानांतरित कार्यालयों की हो हाजीपुर में वापसी : रेल मुख्यालय की स्थापना के बाद प्रशासनिक पदाधिकारियों ने हाजीपुर में स्थान का अभाव बता कर रेल के प्रमुख कार्यालयों को पटना में स्थापित करा दिया. जबकि रेल के पास आवश्यकता के अनुरूप जमीन उपलब्ध है. कार्यालयों के पटना में स्थापित करने के कारण उनका आवास भी पटना में बनाया गया है. इससे अपने काम से मुख्यालय में आनेवाले कर्मियों को दोनों जगहों की दौड़ लगानी पड़ती है.
मुख्यालय के रेल अस्पताल का हो विकास : पूर्व मध्य रेल मुख्यालय में स्थित रेलवे अस्पताल मंडल मुख्यालयों में स्थापित अस्पतालों से भी निम्न दरजे का है. विकसित अस्पताल की सुविधा नहीं रहने के कारण कर्मियों को गंभीर बीमारी की स्थिति में उन्हें काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है. लोगों को उम्मीद है कि प्रधानमंत्री की इस सभा से इसके उन्नयन की घोषणा की जा सके.