पिछले13 वर्षों में सुभाष चौक स्थित बाजार में हुए कई सकारात्मक बदलाव

हाजीपुर : नगर के हृदय स्थली राजेंद्र चौक से सटे सुभाष चौक बाजार के तेजी के साथ विकसित होने की कहानी की शुरुआत वर्ष 2004 से हुई. बाजार के व्यवसायियों का कहना है कि पहले उक्त बाजार में शाम ढलते ही ग्राहकों की आवाजाही कम होने लगती थी. नगर के प्रतिष्ठित परिवारों के सदस्य शाम […]

By Prabhat Khabar Print Desk | September 24, 2017 5:27 AM

हाजीपुर : नगर के हृदय स्थली राजेंद्र चौक से सटे सुभाष चौक बाजार के तेजी के साथ विकसित होने की कहानी की शुरुआत वर्ष 2004 से हुई. बाजार के व्यवसायियों का कहना है कि पहले उक्त बाजार में शाम ढलते ही ग्राहकों की आवाजाही कम होने लगती थी. नगर के प्रतिष्ठित परिवारों के सदस्य शाम होने के बाद बाजार में समय बिताना उचित नहीं समझते थे.

अतिक्रमण की वजह से बाजार की सड़क सिकुड़ कर छोटी हो गयी हैं. विशेषकर महिलाएं अपनी-अपनी खरीदारी शाम ढलने से पहले ही कर लेने को तत्पर रहा करती थी. महिलाओं एवं संभ्रांत लोगों के दिलों में शराब की दुकानों पर शराब के शौकीन लोगों के लगने वाले जमावड़े का भय सताता रहता था. मालूम हो कि शराबबंदी कानून के लागू होने से पहले सुभाष चौक बाजार के बीचोबीच शराब की दुकानें हुआ करती थी.

ऐसे तो हाजीपुर नगर की विभिन्न सड़कों और चौक-चौराहों पर जाम की समस्या अब आम हो चली है, परंतु सुभाष चौक स्थित बाजार की सड़क पर जाम की समस्या काफी गंभीर समस्या का रूप धारण करता चला जा रहा है.कोई ऐसा दिन नहीं और रविवार के दिन को छोड़कर किसी दिन कोई ऐसा पल नहीं, जब बाजार की सड़क पर गुजरने वाले लोगों को जाम की समस्या का सामना नहीं करना पड़ता है. साथ ही अतिक्रमण की समस्या भी उक्त बाजार की एक दूसरी गंभीर समस्या मानी जाती है.
ठेले वाले और खोमचे वालों की ओर से बाजार की सड़क के दोनों किनारों पर कब्जा कर लिया जाता है. जिससे बड़े एवं छोटे सभी वाहनों के परिचालन में कठिनाई होती है और फलत प्रत्येक दिन उक्त बाजार की सड़क पर लोगों को भीषण जाम की स्थिति का सामना करना पड़ता है.
बिक्री के लिहाज से बाजार का आकार अन्य बाजारों की अपेक्षा बड़ा : बिक्री के लिहाज से सुभाष चौक बाजार का आकार नगर के अन्य बाजारों की अपेक्षा बड़ा होने की जानकारी व्यवसायियों ने दी और बताया कि नगर के गुदरी बाजार,
सिनेमा रोड बाजार जैसे बड़े एवं विकसित बाजारों में सुभाष चौक बाजार भी शामिल है. हजारों ग्राहक विभिन्न प्रकार के उत्पादों की खरीदारी के लिए प्रत्येक दिन बाजार में पहुंचते हैं. एक महीने में उक्त बाजार में करोड़ों का मिलाजुला कारोबार होने की बात बाजार के व्यवसायी स्वीकार करते हैं.

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