सुपौल अब भी रेलवे विकास से उपेक्षित, स्थानीय लोग मांग रहे ट्रेनों का विस्तार
कोसी प्रमंडल का सबसे बड़ा जिला होने के बावजूद लगभग 30 लाख की आबादी रेल सुविधाओं के अभाव में परेशान है
सुपौल. आबादी और सामरिक दृष्टि से बेहद महत्वपूर्ण सुपौल जिला आज भी रेलवे विकास की मुख्यधारा से कटा हुआ है. कोसी प्रमंडल का सबसे बड़ा जिला होने के बावजूद लगभग 30 लाख की आबादी रेल सुविधाओं के अभाव में परेशान है. त्योहारों पर जब प्रवासी मजदूर पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, गुजरात और महाराष्ट्र से अपने घर लौटते हैं, तो सहरसा व दरभंगा तक चलने वाली पूजा स्पेशल ट्रेनों में भारी भीड़ उमड़ पड़ती है. मगर इन ट्रेनों का परिचालन सुपौल तक न होने से यात्रियों को अंतिम पड़ाव तक पहुंचने के लिए भारी मशक्कत करनी पड़ती है. हाल ही में रेलवे ने अमृतसर-सहरसा आरक्षित द्विसाप्ताहिक स्पेशल (04618/17) और सरहिंद-सहरसा द्विसाप्ताहिक स्पेशल (04508/07) ट्रेनों की घोषणा की है, जिनका परिचालन क्रमश 23 और 22 सितंबर से शुरू होगा. हालांकि स्थानीय लोगों का कहना है कि इन ट्रेनों को यदि ललितग्राम तक बढ़ा दिया जाए, तो सुपौल और आसपास के जिलों के यात्रियों को वास्तविक लाभ मिलेगा. रेल संघर्ष समिति, सुपौल के संयोजक पवन अग्रवाल ने कहा कि पूरे देश में वंदे भारत जैसी आधुनिक ट्रेन सेवाओं का विस्तार हो रहा है, जबकि सुपौल जैसे बड़े जिले से अब तक एक भी लंबी दूरी की सुपरफास्ट या एक्सप्रेस ट्रेन का परिचालन नहीं हो पाया है। यह स्थिति विडंबनापूर्ण है. नेपाल सीमा से सटे इस इलाके का सामरिक महत्व भी कम नहीं है. यहां से सैनिकों की आवाजाही लगातार बनी रहती है. ऐसे में रेलवे नेटवर्क का विस्तार न केवल स्थानीय जनता की सुविधा बढ़ाएगा बल्कि सामरिक दृष्टि से भी भारत की सैन्य शक्ति को मजबूती देगा. स्थानीय लोगों का मानना है कि पूजा स्पेशल व नई घोषित ट्रेनों को यदि ललितग्राम तक विस्तार दिया जाए, तो कोसी-सीमांचल क्षेत्र की बड़ी आबादी को राहत मिलेगी और सुपौल भी रेलवे विकास की धारा से जुड़ सकेगा.
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