सरकारी व गैरसरकारी कार्यालयों के आवेदन में उर्दू को स्थान देने की जरूरत

वक्ताओं ने कहा कि सरकारी व गैरसरकारी कार्यालय के आवेदन में उर्दू को स्थान देने की जरूरत है

By Prabhat Khabar News Desk | February 17, 2025 6:16 PM

– उर्दू में तालिम को बढ़ावा देने व भाषा को व्यवहार में लाने पर दिया गया बल छातापुर. प्रखंड सह अंचल कार्यालय परिसर स्थित एलएन सभागार में रविवार को उर्दू जागरूकता सम्मेलन का आयोजन किया गया. अंजुमन तरक्की उर्दू प्रखंड इकाई की ओर से आयोजित सम्मेलन की सदारत जिला सचिव कारी मो रिजवान इशाति कर रहे थे. प्रखंड सचिव मौलाना मो इस्माइल कासमी की निजामत में आयोजित सम्मेलन में उर्दू में तालीम को बढ़ावा देने व भाषा को व्यवहार में लाने पर बल दिया गया. वक्ताओं ने कहा कि सरकारी व गैरसरकारी कार्यालय के आवेदन में उर्दू को स्थान देने की जरूरत है. सरकार ने हर कार्यालय में उर्दू अनुवादक बहाल कर रखी है. जो उर्दू जुबान के कार्यान्वयन के लिए बिठाए गए हैं. इसके अलावा सरकार उर्दू अनुवादकों एवं उर्दू शिक्षकों की बहाली पर जोर दे रही है. कुरआन ए पाक की तिलावत से प्रारंभ हुए कार्यक्रम में शिरकत कर रहे लोगों को अपनी जगह पर खड़ी कर उर्दू के प्रचार प्रसार की कसम दिलाई गई. वहीं मदरसा जामिया आयशा लिल बनात के छात्रों द्वारा नात-ए-गजल सुनाकर उर्दू की खूबसूरती को भी रेखांकित किया गया. वक्ताओं ने कहा कि सूबे के जुबानी इंतेजामात में उर्दू को हिंदी के बाद दूसरा दर्जा प्राप्त है. इसके बावजूद सरकारी काम काज में और आम बोलचाल में हम सभी उर्दू भाषा का उतनी शिद्दत से इस्तेमाल नहीं करते हैं, जिसकी वजह से उर्दू भाषा पिछड़ता जा रहा है. कहा कि जब तक सभी उर्दू जुबान को अपने आम जिंदगी में शामिल नहीं करेंगे, तब तक नफासत की इस जुबान को सही मुकाम हासिल नहीं हो पाएगा. तहजीब से पैदा हुई उर्दू है मुहब्बत की जुबान, मुसलमानों से ज्यादा गैर मुस्लिम ने दिया है तरजीह इमारत ए शरिया फुलवारी शरीफ पटना के मौलाना व मुफ़्ती शमीम अकरम रहमानी ने कहा कि आमतौर पर लोगों के जेहन में है कि उर्दू मुसलमानों की भाषा है और मुस्लिम फ़ातेहीनों द्वारा लाई गई है. लेकिन ऐसा नहीं है. उर्दू जुबान यहां के तहजीब से पैदा हुई है और उर्दू मोहब्बत की जुबान बन गई. कहा कि उर्दू को जितना मुसलमानों ने सीखा है, उससे ज्यादा गैरमुस्लिमों ने जगह दी है. उर्दू जुबान के पहले अखबार की शुरुआत गैर मुस्लिम ने ही की थी. हालांकि इस जुबान की तरक्की में कुछ विसंगतियां सरकार के तरफ से भी रही है और कुछ हम लोग पैदा कर रहे हैं. इस जुबान से हमारी उतनी मोहब्बत नहीं है जितनी जरूरत समझी जाती है. सम्मेलन की सदारत कर रहे जिला सचिव कारी मो इशाति ने उर्दू के प्रचार प्रसार पर जोर दिया. कहा कि आमलोगों के बीच उर्दू जुबान को पहुंचाने के लिए वे काम करें और खुद व अपने बच्चों को उर्दू की तालीम से जोड़े. सम्मेलन में पंचम नारायण सिंह, कारी रिजवान इशाति और मौलाना कमरे आलम नदवी, शिक्षक उमाशंकर कुमार, मुफ़्ती जफीउर्रहमान, मुफ़्ती सज्जाद कासमी, मौलाना सदरे आलम, मौलाना इनायतुल्लाह, हाफिज मो हारूण, हाफिज मो मिनतुल्लाह, हाफिज मो सोहराब, मौलाना अब्दुल कैयूम, मौलाना सिराज आशिकी, मौलाना इजरायल, मौलाना एहसान आदि ने भी अपना विचार व्यक्त किया. मौके पर बीपीआरओ देश कुमार, राजद प्रखंड अध्यक्ष मो हसन अंसारी, मुखिया पति मकसूद मसन, पंसस मो नूरुद्दीन व मो साबीर, शेख मो जईम, मो जियाउल, इजहार आलम, मो कलीम, परवेज आलम, शमशाद खान मुख्य रूप से मौजूद थे.

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